परमार्थ में आर्ट कम्पटीशन के माध्यम से बच्चों ने दिया जल संरक्षण का संदेश

 

जल पालिसी ही जीवन पालिसी-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 22 मार्च। परमार्थ निकेतन में अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर ’जल जागरूकता और स्वच्छ जल का सुरक्षित उपयोग’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती , जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी और विद्यालयों के प्राचार्यो ने दीप प्रज्जलित कर किया।
जल जीवन मिशन द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर भारत में सभी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो इस हेतु ऑनलाइन वेबनाॅर का आयोजन किया गया। जिसमें ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती , रामदास अठावले , सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री, जैक सिम, संस्थापक, विश्व शौचालय संगठन अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर प्रेरक उद्बोधन एवं समाधान प्रस्तुत किये।
परमार्थ निकेतन में आयोजित कार्यक्रम में ऋषिकेश शहर और आसपास के क्षेत्र के 32 विद्यालय के 260 से अधिक विद्यार्थियों, शिक्षकों और प्राचार्यो ने सहभाग किया। जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिये आर्ट काम्पटीशन का आयोजन किया गया ताकि बच्चे जल के महत्व को समझें और घटते स्वच्छ जल के प्रति सचेत रहें।
अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि स्वच्छ जल और स्वच्छता का अधिकार मौलिक अधिकार है जिस पर सभी का अधिकार है। स्वच्छ जल तक प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच होनी चाहिये परन्तु वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर 2.1 बिलियन लोगों को अपने घर पर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, वहीं 2.3 बिलियन लोगों के पास बुनियादी स्वच्छता की सुविधा नहीं है।
घरेलू स्तर पर स्वच्छ पेयजल, सफाई और स्वच्छता प्रबंधन के लिये काफी हद तक घर की बेटियां और महिलायें ही जिम्मेदार होती हैं और इन बुनियादी जरूरतों के अभाव में उन्हें ही सबसे अधिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अधिकांश घरों में जहाँ पीने के पानी के स्रोत घरों के बाहर हैं, वहाँ पानी लाने की जिम्मेदारी महिलाओं और लड़कियों की ही होती है। जब लड़कियों को पानी लाने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, तो इसके कारण वे अपनी शिक्षा पर ध्यान नहीं दे पाती। इन बुनियादी जरूरतों के अभाव के कारण महिलाएँ और लड़कियाँ समाज में समान रूप से भाग नहीं ले पाती हैं।
स्वामी ने कहा कि जल और स्वच्छता के क्षेत्र में शिक्षकों के नेतृत्व की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं। यदि बच्चों को जल संरक्षण का महत्व सिखा दिया जाये तो आने वाली पीढ़ी स्वतः ही जल के महत्व को समझने लगेगीं हमें केवल एक पीढ़ी को ही जल के महत्व को समझाने की जरूरत है।
भारत में जल उपलब्धता व उपयोग पर विचार करें तो भारत में वैश्विक ताजे जल स्रोत का मात्र 4 प्रतिशत मौजूद है जिससे वैश्विक जनसंख्या के 18 प्रतिशत (भारतीय आबादी) हिस्से को जल उपलब्ध कराना होता है। भारत में बढ़ते जल संकट के खतरे के प्रति जागरूकता पैदा करना है और जल संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता नितांत आवश्यक है।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि पृथ्वी पर मनुष्य के अस्तित्व को बनाए रखने के लिये जल संसाधनों की रक्षा करना परम आवश्यक है। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण परम्परागत भारतीय जीवन शैली का महत्त्वपूर्ण हिस्सा रहा है परंतु पिछले के कुछ दशकों में देश में औद्योगिकीकरण और जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण जल संसाधनों का बहुत अधिक दोहन हुआ है। कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन के कारण वैश्विक स्तर पर जहाँ घरेलू उपयोग के लिये जल की मांग बढ़ी वहीं जल संरक्षण की कई योजनाओं में भी रुकावट आई है इसलिये सभी को जल संरक्षण के लिये अपना योगदान देना होगा जिससे भविष्य में आने वाली जल संकट की चुनौती को कम किया जा सके।
साध्वी ने कहा कि जल के अभाव के कारण लड़कियों को स्कूलों में मासिक धर्म के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिससे वे स्कूल नहीं जाती, इससे लड़कियों की स्कूल में उपस्थिति दर में गिरावट आती है, उनके पढ़ाई छोड़ने या ड्रॉप-आउट होने के कारणों में एक कारण यह भी है। स्कूल सबसे उपयुक्त स्थान है जहां से हम बच्चों को जल के साथ अन्य प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग के लिये प्रेरित कर सकते है।
जल जीवन मिशन द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर भारत में सभी को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो इस हेतु ऑनलाइन वेबनाॅर का आयोजन किया गया। जिसमें ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस के सह-संस्थापक स्वामी चिदानन्द जी, श्री रामदास अठावले जी, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री, जैक सिम, संस्थापक, विश्व शौचालय संगठन, श्री राजीव यादव, अध्यक्ष, ब्रह्मपुत्र बोर्ड, भारत सरकार, वरुण झावेरी, पूर्व ओएसडी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, भारत सरकार, डॉ एन बी मजूमदार, अध्यक्ष, पर्यावरण स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य अंतर्राष्ट्रीय अकादमी, डॉ समीरन पांडा, वैज्ञानिक और प्रमुख, महामारी विज्ञान और संचारी रोग (ईसीडी), प्रभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, डॉ संजीव कुमार, अध्यक्ष, भारतीय जन स्वास्थ्य अकादमी, पुनीत श्रीवास्तव, शहरी वाश सलाहकार, वाटरएड, अजय प्रधान, अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अंशुमान जायसवाल, एसोसिएट डायरेक्टर, जल संसाधन, ऊर्जा और संसाधन संस्थान, टीईआरआई, राजेश जैन, प्रबंध निदेशक और अन्य विशिष्ट पैनलिस्ट ने सहभाग किया।
इस वेबिनाॅर का उद्देेश्य – जल जीवन मिशन योजना, कार्यान्वयन, प्रबंधन और संचालन में ग्राम पंचायत और इसकी उप-समिति के सशक्तीकरण की परिकल्पना करता है। और अपनी जल आपूर्ति प्रणाली को बनाए रखता है। भारत के 718 जिलों में से दो तिहाई पानी की कमी से प्रभावित है। भारत में भूजल स्तर में तेजी से कमी आ रही है इसलिये जल संरक्षण पर जोर देना नितांत आवश्यक है।

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