श्री पंचायत दशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी यात्रा 2025 का ऋषिकेश तारा माता मंदिर में पहुंचने पर संतो ने पुष्प वर्षा कर किया भव्य स्वागत, छडी यात्रा का उद्देश्य विधर्मीयों को समाप्त कर सनातन धर्म का वर्चस्व कायम करना – महंत संध्या गिरी महाराज


ऋषिकेश, 04 अक्टूबर (रणवीर सिंह)। श्री पंचायत दशनाम जूना अखाड़े द्वारा आयोजित 25 दिवसीय पवित्र छड़ी यात्रा 2025 का शनिवार को ऋषिकेश स्थित मायाकुंड तारा माता मंदिर में पहुंचने पर संतो ने पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया।
पवित्र छड़ी यात्रा तीर्थ नगरी ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट दुर्गा मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, बनखंडी महादेव , भरत मंदिर, चंद्रेश्वर मंदिर, समेत मायाकुंड तारा माता मंदिर, सभी की परिक्रमा कर त्रिवेणी घाट पर गंगा का पूजन किया गया।
मायाकुंड स्थित श्री बद्री ब्रह्मलीन गोदावरी गिरी महाराज की तारा माता मंदिर में समाधि मंदिर के महंत संध्या गिरी के नेतृत्व में संतों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया।
इस दौरान भारी संख्या में नागरिकों व श्रद्धालुओं ने पवित्र छड़ी के दर्शन किए तथा पुष्प वर्षा कर पूजा अर्चना की।

इस मौके पर महंत संध्या गिरी ने कहा कि ऋषिकेश से प्रारंभ होकर यह यात्रा 25 दिनों तक पूरे उत्तराखंड के पौराणिक मंदिरों में पहुंचेगी जहां उनका भव्य स्वागत किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि श्री पंचायत दशनाम जूना अखाड़े द्वारा संचालित पौराणिक पावन पवित्र छड़ी यात्रा आद्य जगतगुरु शंकराचार्य ने लगभग ढाई हजार वर्ष पहले अपनी दिग्विजय यात्रा जिसमें उन्होंने सनातन धर्म की स्थापना के लिए पूरे भारतवर्ष में चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी ,का ही रूप है ।तब जगद्गुरु शंकराचार्य ने पवित्र धर्म दंड अथवा धर्म ध्वजा जो की छड़ी का ही प्रतीक था ,के माध्यम से विधर्मीयों को समाप्त कर सनातन धर्म का वर्चस्व कायम किया था। तभी से उनके बताए गए मार्ग पर चलते हुए साधु सन्यासियों और अखाड़ों द्वारा उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और दक्षिणी प्रदेशों में पवित्र छड़ी यात्राएं निकाली जाती है। जिसमें अमरनाथ, मणिमहेश, कैलाश मानसरोवर, उत्तराखंड के चारो धाम सहित पौराणिक स्थलों की यात्रा आज भी संचालित की जा रही है ।
इन यात्राओं को समय-समय पर मुगल शासकों ने रोकने का प्रयास भी किया, अलाउद्दीन खिलजी और मोहम्मद तुगलक शाह ने हिंदू जनता पर अत्याचार किए ,जिससे त्रस्त होकर शंकराचार्य द्वारा स्थापित दस नाम परंपरा के सन्यासियों ने प्रयागराज कुंभ के दौरान क अखाड़ों का गठन किया था, इसी क्रम में उत्तराखंड के करणपयाग में जूना अखाड़े की स्थापना की गई थी।
जिसके स्थापना काल से जूना अखाड़े के नागा सन्यासी मुगलों के अत्याचार से निपटने के लिए सैनिक गतिविधियों, धार्मिक यात्रा आयोजित कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में यह परंपरा थी कि कुंभ पर्व के समापन के पश्चात अखाड़े पौराणिक पावन छड़ी यात्रा निकालेंगे, तथा कैलाश मानसरोवर सहित उत्तराखंड के चारों धामों एवं अन्य पौराणिक मंदिरोंंंं और स्थानों का जीर्णोद्धारभी करेंगे।

इसी उद्देश्य को लेकर 25 दिनों तक चलने वाली यह छड़ी यात्रा निकाली जा रही है ।

छड़ी यात्रा में प्रमुख रूप से‌ महामंडलेश्वर वृदानंद गिरी महाराज, महंत योगीराज गौतम गिरी, महंत राज राजेश्वरानंद गिरी, महंत आनंद गिरी महाराज पट्टी, महंत कंचन गिरी, सचिव दयानंद पुरी , रामेश्वर गिरी ,खुशी गिरी, पंडित मुकेश, नितिन त्यागी , संजय शास्त्री, गंभीर मेवाड़ गोपाल रावत सहित काफी संख्या में संत उपस्थित थे।


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