ऋषिकेश: चेक बाउंस के मामले में एक साल की सजा व जुर्माना, मकान बेचकर अग्रिम धनराशि को डकारने का था आरोप


ऋषिकेश 3 अप्रैल। चेक बाउंस के दो अलग-अलग मामलों में सिविल जज जूनियर डिविजन ऋषिकेश ने एक आरोपित को एक वर्ष कारावास तथा पांच लाख 10 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।

इस मामले में गीता नगर ऋषिकेश निवासी चंद्रमणि शुक्ला ने राकेश कुमार कश्यप निवासी ऋषिलोक कालोनी आशुतोष नगर ऋषिकेश के खिलाफ वाद दायर किया था। जिसमें उन्होंने बताया कि वह रेलवे रोड पर कपड़े का व्यापार करते हैं। उनकी दुकान पर आने जाने वाले राकेश कुमार कश्यप से उनकी अच्छी जान पहचान हो गई। राकेश कुमार कश्यप ने अपना ऋषि लोक कालोनी आशुतोष नगर में स्थित मकान को बेचने की पेशकश की। जिसका सौदा बीस लाख रुपए में तय हुआ था। चंद्र मोहन शुक्ला ने बयाने के तौर पर राकेश कुमार कश्यप छह लाख की धनराशि दे दी थी। मगर, तय समय पर आरोपित राकेश कुमार कश्यप ने मकान की रजिस्ट्री चंद्र मोहन शुक्ला के नाम पर नहीं की। जब चंद्र मोहन शुक्ला ने अपने बयान के पैसे वापस मांगे तो राकेश कुमार कश्यप ने उन्हें अलग-अलग धनराशि के चेक उपलब्ध कराएं। यह चेक जब भुगतान के लिए बैंक में लगाए गए तो बैंक ने खाते में धनराशि ना होने के कारण चेक अनादरित कर दिए।

यह मामला न्यायालय सिविल जज जूनियर डिविजन तथा न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋषिकेश राजेंद्र कुमार की अदालत में विचाराधीन था। न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपित राकेश कुमार कश्यप पुत्र राजकुमार निवासी ऋषि लोक कालोनी आशुतोष नगर ऋषिकेश को चेक बाउंस के मामले में दोषी पाते हुए एक साल के साधारण कारावास तथा पांच लाख 10 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा।

अधिवक्ता एलएन तिवारी व शैलेंद्र सेमवाल ने बताया कि न्यायालय ने आरोपित राकेश कुमार कश्यप को अर्थदंड की राशि में से पांच लाख रुपए प्रतिकर के रूप में परिवादी चंद्रमणि शुक्ला को देने तथा दस हजार की राशि जुर्माने के रूप में न्यायालय में जमा कराने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने बताया कि इसी संपत्ति मामले में एक अन्य चेक के बाउंस होने से संबंधित मामले में न्यायालय ने आरोपित राकेश कुमार कश्यप को 6 माह का कारावास तथा 1 लाख ₹5000 अर्थदंड से दंडित किया है अर्थदंड की राशि में से एक लाख रुपए प्रतिकर के रूप में चंद्रमोहन शुक्ला को देने तथा पांच हजार रुपए जुर्माने के तौर पर न्यायालय में जमा कराने के आदेश दिए हैं।

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