35 वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का 4 दिवस ध्यान, योग, जप, वैदिक ज्ञान, आयुर्वेद और संगीत में डूबे विश्व के 90 देशों के 1500 से अधिक प्रतिभागी कर रहे प्रतिभाग इजराइल संगीतज्ञ गिल रान सामा के संगीत ने मचायी धूम


ऋषिकेश, 11 मार्च। परमार्थ निकेतन में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के 4 दिन 90 से अधिक देशों के 1500 से अधिक प्रतिभागी योग, ध्यान, प्राणायाम, आयुर्वेद, संगीत, भारतीय दर्शन व जीवन विधाओं को आत्मसात कर रहे हैं। सायंकाल परमार्थ निकेतन गंगा तट होने वाली दिव्य गंगा आरती सभी के लिये एक दिव्य आकर्षण का केन्द्र है। यहां पर योग जिज्ञासु योग की प्राचीन विधाओं के साथ भारतीय दर्शन और जीवन पद्धति, भारतीय भोजन और चितंन को भी आत्मसात कर रहे हंै।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि योग हमारे ऋषियों की सदियों की तपस्या का सुखद परिणाम है। योग हमारी विरासत है जो पूरे विश्व के लिये अमूल्य उपहार है। योग ना केवल शारीरिक स्तर पर बल्कि मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी हमें मजबूत करता है, इसलिये आईये करें योग और रहें निरोग।

केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, आयुष मंत्रालय और पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय भारत सरकार  सर्बानंद सोनोवाल ने आज प्रातःकाल यज्ञ के पश्चात स्वामी जी का आशीर्वाद लेकर परमार्थ निकेतन के विदायी ली।

 मंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि परमार्थ निकेतन आकर देखा कि पूरे विश्व के योग साधक एक साथ आकर एकता के साथ समर्पित भाव से योग कर रहे हैं। यहां के दृश्य को देखकर मैं चकित हो गया। वास्तव में परमार्थ निकेतन योग के क्षेत्र में अद्भुत कार्य कर रहा है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती के मार्गदर्शन में योग की व्यापकता के लिये विलक्षण कार्य सम्पन्न हो रहे हैं। यज्ञ में सहभाग कर जीवन की धन्यता और पूर्णता का अनुभव हुआ। यहां का स्वर्गतुल्य वातावरण दिल और आत्मा को स्पर्श करने लेने वाला है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि पूर्ण स्वास्थ्य का तात्पर्य यह नहीं है कि हमें बुखार, वायरस, बैक्टीरिया या अन्य किसी प्रकार का संक्रमण नहीं है अर्थात हम पूर्ण स्वस्थ है। स्वास्थ्य अर्थात् पूर्णता का अनुभव से है।
तनाव में रहने से हमारे शरीर, हमारे दिमाग और हमारे दिल को नुकसान पहुंचाता हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय ‘योग’ स्टूडियों में किये जाने वाले आसनों तक सीमित नहीं है बल्कि ऋषियों ने अपनी साधना से परिष्कृत कर एक समग्र जीवन पद्धति का निर्माण किया है। पंतजलि योग सूत्र में यम, नियम, आहार और विहार का उत्कृष्ट वर्णन किया गया है कि हमारा भोजन, निद्रा, जागना और हमारी चिंतनशैली कैसी हो, अर्थात् योग दो या चार घन्टों का अभ्यास नहीं बल्कि पूरी जीवनप्रणाली है।
रेवरेंड माइकल बेकविथ ने कहा कि ‘प्रार्थना में अद्भुत शक्ति होती हैं, प्रार्थना के माध्यम से हम स्वयं पर पूर्ण विश्वास कर सकते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में हम योग के माध्यम से परमात्मा की उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं। योग के माध्यम से हम तनाव को दूर कर खुद को तनावमुक्त रख सकते हैं। आप सभी अपने इस रूपांतरित रूप के साथ घर वापस जायें।
डॉ. राघवन रमनकुट्टी ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीन हीलिंग तकनीक है। आयुर्वेद, वेद से आया है। वेद, धर्म और ज्ञान का मूल है, वेद रूट आॅफ नालेज़ है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद किसी प्रयोगशाला से नहीं आया है बल्कि उसका स्रोत वेद है।
डा स्मिता ने कहा कि हमारा शरीर हमारा घर है इसलिये इसे स्वच्छ और सुन्दर रखना जरूरी है। शरीर की स्वच्छता के लिये डिटाॅक्स और सुन्दरता के लिये रसायन प्रोग्राम अत्यंत आवश्यक है।
अबुएलो एंटोनियो ओक्स्टे ने कहा कि जिस प्रकार हम प्रतिदिन सूर्योदय के समय नया सूर्य देखते है उसी तरह, हम भी हर दिन नए होते हैं। जब पक्षी सुबह सूरज की पहली किरण महसूस करते हैं तो वे कृतज्ञता में गाना शुरू कर देते हैं उसी प्रकार जब हम उठते हैं, तो हमारा पहला विचार ‘‘धन्यवाद’’ का होना चाहिए। हमें अपने विचारों, भावनाओं और कार्यों के साथ सुसंगत होने की आवश्यकता है।
प्रातःकाल 4ः30 बजे कैलिफोर्निया से आये कुंडलिनी योग विशेषज्ञ गुरुशब्द सिंह खालसा द्वारा कुंडलिनी साधना और नाद योग से आज के दिन की शुरूआत हुई। अष्टांग योग के गुरु संदीप देसाई और रेडियंट बॉडी योगा के संस्थापक ताई ची, प्रसिद्ध योगाचार्य किआ मिलर द्वारा फुल माइंड, बॉडी, एनर्जी एक्टिवेशन, परमार्थ निकेतन की वरिष्ठ योगाचार्य गंगा नंदिनी द्वारा शरीर के प्रति जागरूकता सत्र, जापान योग शिक्षक गुमी और अरिंदम ने सूर्योदय नाद योग का अभ्यास कराया।
चेन्नई योग स्टूडियो के संस्थापक रोहिणी मनोहर ने वर्तमान क्षण में सहजता से जीने, प्रसिद्ध योगाचार्य एरिका कॉफमैन पेन्सिलवेनिया, यूएसए ने आनंद और सहजता की विस्तृत अनुभूति के लिए अवेकनिंग लव टू शेयर एंड फील नामक लीला योग विन्यास का अभ्यास कराया। स्टीवर्ट गिलक्रिस्ट ने प्रतिभागियों को सकारात्मक ऊर्जा और प्रेम की शक्ति के साथ सचेत जीवन जीने हेतु योग साधना, बीकेएस अयंगर की शिक्षाओं और पतंजलि के शास्त्रीय योग और मैसूर के टी. कृष्णमचार्य की विन्यसा प्रणाली के दर्शन के आधार पर ‘योग वृक्ष’ – द ट्रंक ऑफ नियामा का आयोजन किया। रिकवरी 2.0 के संस्थापक टॉमी रोसेन द्वारा शांतिपूर्ण क्रिया, प्राण, ध्यान द कीज टू द किंगडम, ‘कैलिबर ऑफ लाइफ’ शीर्षक सत्र यूएसए की गुरुमुख कौर खालसा द्वारा संचालित किया गया।
अंतरराष्ट्रीय कीर्तन-गायक विश्वंभर शेठ, ने प्रतिभागियों को कीर्तन की कला और तकनीक बतायी। डॉ. राघवन रामनकुट्टी और श्रीमती शारदा राघवन ने सात्विक और सुव्यवस्थित भोजन का महत्व बताया। वर्तमान में हो रही बीमारियों का प्रमुख कारण हमारा भोजन और उसे ग्रहण करने का तरीके पर निर्भर करता है। आयुर्वेद में स्वस्थ भोजन का ज्ञान समाहित है जिसके माध्यम से जीवन का कायाकल्प किया जा सकता है।
बीकेएस अयंगर के विद्वान और चीन में योगिक योग के सह-संस्थापक और निदेशक मोहन भंडारी द्वारा रीढ़ की समस्याओं, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, स्लिप्ड डिस्क और स्कोलियोसिस पर एक योग चिकित्सा का अभ्यास कराया गया।
मारिया एलेजांद्रा अवचारियन, एक आयुर्वेदिक मेडिसिन थेरेपिस्ट, उन्होंने आहार, मंत्र, ध्यान और योग का जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव, मन में पांच तत्व का प्रभाव, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के संवर्द्धन के विषय में जानकारी दी। लंदन की एंड्रिया कैरानी ने ध्यान का अभ्यास कराया।
हठ योग, ध्यान, ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तु, संस्कृत, वेद और वेदांत के विद्वान स्वामी स्वत्वानंद ने ‘आयुर्वेद – मानव और पर्यावरण के बीच हार्मोनिक संतुलन’ सत्र के दौरान मानव और पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिये हार्मोनिक संतुलन पर चर्चा की। . क्लासिकल ऑस्टियोपैथ चिकित्सक और साउंड प्रैक्टिशनर जोसेफ श्मिडलिन ने थेराप्यूटिक साउंड बाथ का अभ्यास कराया।
डॉ. स्मिता महिला उद्यमी और आयुशक्ति की सह-संस्थापक द्वारा ‘डिटॉक्स एंड रिन्यू – सीक्रेट्स टू एंटी एजिंग’ डिटॉक्स के शक्तिशाली सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान की। साथ ही उन्होंने बताया कि बढ़ती उम्र में त्वचा का ख्याल कैसे रखे इस पर भी चर्चा की।
लाइफस्टाइल मेडिसिन मास्टर एंड्रिया पेगे ने हैक फ्लेक्सिबिलिटी और मास्टर फिजिकल पोस्चर का अभ्यास कराया।
गुरनिमित सिंह द्वारा गुरबानी कीर्तन समारोह के माध्यम से विविधता में एकता का संदेश देते हुये कीर्तन की उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। विख्यात संगीतज्ञ गिल रॉन शमा द्वारा मंत्र मुग्ध कर देनेवाला संगीत प्रस्तुत किया गया। संगीत के माध्यम से वैश्विक शान्ति, विविधता में एकता, वसुधैव कुटुम्बकम् का संदेश लिये योगी प्रतिदिन एक-एक क्षण को आत्मसात कर रहे हैं।

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