तीर्थ नगरी के त्रिवेणी घाट से आस्था पथ पर एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध निर्माण की बाढ़  रसूखदारों द्वारा नियमों को ताक पर रखकर अवैध निर्माण और सिंचाई भूमि पर कब्जा जिम्मेदार विभागों ने फेरा मुंह व्यावसायिक भवनों और होटलो के बढ़ते निर्माण से नगर खड़ा भूस्खलन के मुहाने पर 


ऋषिकेश, 24 दिसंबर ।तीर्थ नगरी के त्रिवेणी घाट को पशु लोक बैराज से जोड़ने वाले करीब चार किलोमीटर लंबे आस्था पथ पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एनजीटी के आदेशों की अवहेलना हो रही है। बड़ी संख्या में यहां पर सिंचाई विभाग की भूमि पर कब्जा कर अवैध निर्माण हो रहे हैं। सिंचाई विभाग, एमडीडीए और स्थानीय प्रशासन इस मामले में चुप्पी साधे हैं।

आस्था पथ के किनारे हरिद्वार मार्ग से लेकर वीरभद्र मार्ग तक बड़ी संख्या में व्यावसायिक भवन बने हैं जिसमे होटल की संख्या ज्यादा है निजी आवास की भी संख्या यहां कम नहीं है यह पूरा क्षेत्र गंगा तट से 100 मीटर की और परिधि में आता है।

बाढ़ सुरक्षा की दृष्टि से यह क्षेत्र काफी संवेदनशील है। केदारनाथ की आपदा ही नहीं बल्कि बाढ़ के दौरान यहां की आबादी पर खतरा मंडराता रहा है।

इन सब बातों से मुंह फेर जिम्मेदार विभागों को क्षेत्र की चिंता नहीं है।विभाग और प्रशासन की हालत यह है कि भूस्खलन से क्षतिग्रस्त भवन की मरम्मत के लिए दोहरी नीति अपनाई जाती है।

पूर्व राज्य मंत्री के निर्माण के मामले में इस वर्ष अप्रैल माह में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता से लेकर विभागाध्यक्ष तक के हस्ताक्षर से निर्माण की अनुमति जारी कर दी गई थी। राजनीति हस्तक्षेप के चलते मई माह में इसे निरस्त कर दिया गया। बाद में न्यायालय के आदेश पर जून के महीने कार्य शुरू हो पाया।

दूसरी तरफ संबंधित निर्माण से कुछ दूरी पर ही सिंचाई विभाग की आस्था पथ से जुड़ी भूमि से सटकर निर्माण कर दिए गए हैं। वर्तमान में कई निर्माण कार्य जारी है और कई निर्माण कार्य पूर्ण हो चुके हैं।

बड़ा सवाल यह है कि गंगा तट की 100 मीटर की परिधि में स्थित इन भवन और प्रतिष्ठान स्वामियों को सिंचाई विभाग और एमडीडीए की ओर से कैसे अनुमति जारी कर दी गई।

आस्था पथ के रखरखाव की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है। सिचाई विभाग की भूमि पर यदि कोई अवैध निर्माण या अतिक्रमण होता है तो इस पर विभाग संज्ञान लेगा। संबंधित मामले में अधीनस्थ अधिकारियों को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है: दिनेश प्रसाद उनियाल, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग देहरादून।

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