ऋषिकेश 17 दिसंबर। जिला पौड़ी में पडने वाले यम्केश्वर ब्लॉक में बैराज पुल पर गंगा किनारे सरकारी शराब ठेका खोलने को लेकर शराब ठेकेदार/ अनुज्ञापी द्वारा जबरदस्ती वहां पर गड्ढे खोदकर वहां पर शराब की दुकान स्थापित करने को लेकर पी डब्लू डी राजस्व और वन विभाग के अधिकारियों की शराब ठेकेदार/ अनुज्ञापी से जबरदस्त बहस बाजी हो गई। मामला बढ़ते देख मौके पर पुलिस ने पहुंचकर काम को रुकवाया।
बताते चलें कि करीब 2 माह पूर्व अक्टूबर महीने में सरकारी शराब की दुकान का ठेका सुमंत बंसल के नाम पर आवंटित हुआ था। आवंटित शराब की दुकान के आवंटन पत्र में शराब ठेकेदार स्वामित्व को शराब की दुकान के लिए जमीन की व्यवस्था शराब स्वामित्व के स्वयं द्वारा करने के लिए लिखी गई थी। जिसके लिए एक माह का समय भी लिखा गया था 1 माह बीत जाने पर आवंटन निरस्त हो जाना था।
शराब का ठेका खोलने के लिए बैराज पुल के बगल में खाली पड़ी भूमि के चयन के लिए पीडब्ल्यूडी राजस्व और वन विभाग के अधिकारियों को जिलाधिकारी डॉ विजय कुमार जोगदंडे ने निर्देश दिए थे ।की उक्त सभी विभागों द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण कर जमीन के स्वामित्व को लेकर उनको एक रिपोर्ट पेश की जाए
जिलाधिकारी के आदेश पर शुक्रवार की दोपहर करीब तीन बजे अधिकारियों की टीम बैराज पुल पर पहुंची।
इस दौरान सभी अधिकारियों ने जमीन से संबंधित अपने-अपने दस्तावेज एक दूसरे-को दिखाने शुरू किए। मौके पर अनुज्ञापी सुमंत बंसल भी पहुंच गया। अधिकारियों की बातचीत अभी खत्म भी नहीं हुई कि सुमंत बंसल ने अधिकारियों के साथ जल्द से जल्द बातचीत कर ठेका खोलने के लिए भूमि पर निशान लगाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
तभी भूमि का चयन करने के लिए बैराज पुल पर पहुंची पीडब्ल्यूडी , राजस्व और वन विभाग के अधिकारियों से अनुज्ञापी की जमकर बहस हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि अनुज्ञापी ने बिना इजाजत बैराज पुल के बगल में खाली पड़ी भूमि पर मजदूरों से गड्ढे खुदवाने शुरू कर दिए।
अधिकारियों के द्वारा समझाने पर भी जब अनुज्ञापी नहीं माना तो मौके पर पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस ने लॉ एंड ऑर्डर का ख्याल रखते हुए शांतिपूर्ण तरीके से समस्या का समाधान करने की हिदायत अनुज्ञापी को दी है।
पुलिस ने नसीहत देते हुए शांतिपूर्ण तरीके से समस्या का समाधान करने को कहा। करीब 3 घंटे तक बहस के बाद अनुज्ञापी को बिना ठेका खोले बैरंग लौटना पड़ा।
पीडब्ल्यूडी लक्ष्मण झूला के सहायक अभियंता वीपी उनियाल ने बताया कि यह जमीन साल 1987 में निर्माण कार्य के लिए पीडब्ल्यूडी को वन विभाग से हस्तांतरित हुई थी, जो निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सशर्त स्वत: ही वन विभाग के स्वामित्व में वापस चली गई है। पीडब्ल्यूडी इस मामले में अपनी ओर से कोई एनओसी नहीं दे सकता है।
जबकि इसी मामले को लेकर वन विभाग गोहरी रेंज के रेंजर धीर सिंह का कहना है कि जमीन पर वन विभाग का स्वामित्व है। यहां राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के नियमों के तहत किसी भी प्रकार की मानव गतिविधियां संचालित नहीं हो सकती। ऐसे में शराब का ठेका संबंधित भूमि पर खोला जाना संभव नहीं है।
उन्होंने बताया कि राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के डायरेक्टर ने इस संबंध में जिलाधिकारी पौड़ी से वार्ता कर ली है। एक पत्र भी जिलाधिकारी को इस बाबत भेज दिया गया है। यदि अनुज्ञापी जबरदस्ती भूमि पर कब्जा करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ फिर से कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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