बसंत पंचमी पर्व पर उत्तराखंड से आई देवी देवताओं की डोलियों ने सांकेतिक रूप से किया गंगा स्नान -देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु, के साथ स्थानीय नागरिको ने गंगा में लगाई श्रद्धा की डुबकी -षडदर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति ने गणेश के साथ भाला निशान को भी कराया स्नान


ऋषिकेश, 05 फरवरी । कोविड-19 की गाइड लाइन के चलते बसंत पंचमी के पर्व पर गंगा स्नान करने वालों को दी गई छूट के बाद ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर लोगों ने जहां उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों से आए निशान और देवताओं की डोलियों को सांकेतिक रूप से स्नान कराया गया।

शनिवार को बसंत पंचमी के पर्व पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालु शुक्रवार की शाम से ही ऋषिकेश पहुंचने प्रारंभ हो गए थे , वहीं प्रशासन ने उत्तराखंड से आने वाले तमाम देवताओं की डोलियों के अलावा भाला निशान को धार्मिक दृष्टि से सांकेतिक रूप से सीमित दायरे में रहकर सांकेतिक रूप से पूजा अर्चना के करने के साथ स्नान कराए जाने की छूट दी गई थी। जिसके चलते ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर षड्दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के संतों ने प्रातः 10.30 बजे श्री सिद्ध गणेश भगवान के पास पहुंचे, जहां उत्तराखण्ड़ से श्री नर सिहं भगवान और दोनो देवता के साथ भाला निशान को विधि विधान से पूजा अर्चना कर गंगा स्नान कराया ।

इस दौरान सभी संतो ने सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए गंगा स्नान भी किया । इस अवसर पर षड दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल गिरी ने बताया कि बसंत पंचमी के पर्व पर ऋषिकेश बसन्त पंचमी को गंगा स्नान की परम्परा आज से 1217 वर्ष पूर्व सन् 805 ई० भगवान श्री आदि गुरू शंकराचार्य जी ने तीन अखाड़ो की सेना के साथ प्रारम्भ किया था।

बसंत पंचमी के पर्व को शांतिपूर्वक संपन्न कराए जाने के लिए स्थानीय कोतवाली प्रभारी रवि कुमार सैनी स्वयं सुबह से ही पुलिस बल के साथ त्रिवेणी घाट पर उपस्थित रहे जिनके नेतृत्व में ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर जाने वाले सभी मार्गो पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी जिससे बसंत पंचमी के पर्व पर त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं को स्नान करने के उपरांत दान पुण्य करने वालों लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।

 

 

इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष महन्त गोपाल गिरी , ,महन्त भोला गिरी , स्वामी प्रेमानंद गिरी, स्वामी नागेंद्र पुरी, नागा बाबा हरी गिरी, स्वामी मोहन गिरी ,रामचंद्र गिरी ,मनोहर ,भारती, राजेंद्र गिरी, राकेश गिरी, पूर्णागिरि, थानापति रवि गिरी सहित काफी संख्या में संत उपस्थित थे।

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