परमार्थ निकेतन में जी-20 प्रतिनिधियों का शंखनाद के बीच किया गया अभिनन्दन भारतीय आतिथ्य, जीवंत व समावेशी संस्कृति के साक्षात किए दर्शन गंगा आरती पूरे विश्व में संस्कार और संस्कृति बढाने के साथ सुरक्षा और आपसी संबंधों को एकजुट करने में सहयोग करेगी-स्वामी चिदानंद मुनि


ऋषिकेश, 24 मई । परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश की विश्व विख्यात गंगा आरती में जी-20 प्रतिनिधियों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती , ग्लोबल इंटफेथ वाश एलायंस की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डा .साध्वी भगवती सरस्वती के सान्निध्य में सहभाग किया।

बुधवार को‌ परमार्थ निकेतन में भव्य गंगा आरती जिससे पूरे विश्व में संस्कार और संस्कृति बढाने के साथ सुरक्षा आपसी संबंधो को के लिए आयोजित की गई है।ऋषिकेश, उत्तराखंड में भ्रष्टाचार विरोधी कार्य समूह की दूसरी जी-20 बैठक के लिए विश्व के 20 देशों के अनेको प्रतिनिधियों ने सहभाग किया। आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक उद्देश्य के साथ वसुधैव कुटुम्बकम् ‘विश्व एक परिवार’ के दिव्य सूत्र को चरितार्थ करने वाली गंगा आरती में सहभाग कर जी-20 प्रतिनिधियों को अद्भुत, अलौकिक व अविस्मरणीय आनन्द की प्राप्ति हुई।

इस अवसर पर स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि यह तो एक शुरूआत है, यह जी-20 से जी-आल की यात्रा है। आज 20 देश है ,और आने वाले दिनों में 200 देश यहां पर आकर भारत की संस्कृति का आनन्द लेगे, यही तो है वसुधैव कुटुम्बकम्, है जिससे लगता है कि विश्व एक परिवार है। जहां सारी समस्याओं का समाधान के साथ सब का सम्मान भी है। भारतीय संस्कृति को जानने, समझने और जीने के लिये वसुधैव कुटुम्बकम् के दिव्य सूत्रों के वास्तविक मूल को समझना होगा।जिसकी झलक‌ कोरोना कॉल में देखने को भी मिली जिसके चलते हैं भारत के 150 करोड़ लोगों को वैक्सीन ‌लगाकर उसका लाभ दिया गया।

डा साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि परमार्थ निकेतन गंगा आरती चिदानन्द सरस्वती महाराज के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में वर्ष 1997 में शुरू की गयी थी, जिसे वर्तमान समय में वैश्विक स्तर पर ख्याति प्राप्त है। माँ गंगा के पावन तट से गंगा आरती के माध्यम से सतत और सुरक्षित भविष्य हेतु जनसमुदाय को जागृत किया जाता है। जहां हम सभी एक साथ मिलकर अपनी ऊर्जा, अनुभव, प्रभाव, समय, समझ, प्रतिभा और दृढ़ता का उपयोग कर एक सतत, सुरक्षित, टिकाऊ, और शान्तिपूर्ण दुनिया के निर्माण में अपना योगदान प्रदान करें।

भारतीय संस्कृति अत्यंत समृद्ध संस्कृति है जिसका वेदों से विमान तक और उपनिषदों से उपग्रहों तक विस्तृत है। माँ गंगा हर परिस्थति में अपने लक्ष्य गंगा सागर की ओर बढ़ती है। वैसे ही हम अपने जीवन में अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे क्योंकि यही हमारे जीवन का धर्म है। जी-20 प्रतिनिधियों ने सतत, सुरिक्षत और टिकाऊ भविष्य के हरित निर्माण का संकल्प लिया। परमार्थ परिवार की ओर से हिमालय की दिव्य और हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा, हिमालयन हल्दी और अन्य सतत व टिकाऊ वस्तुयें भेंट स्वरूप प्रदान की, जो उत्तराखंड की संस्कृति और जीवंतता को दर्शाती हैं। स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि मेरा भारत में तभी संभव है।  जब ऊर्जावान, यशस्वी और तपस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी, नेतृत्व में पूरा देश आकार ले रहा हैं ,इसी श्रंखला में उत्तराखंड, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में गंगा आरती हो रही है।

स्वामी ने कहा कि उत्तराखंड में जी-20 की बैठक भी रखी तो एक गांव ’औणी’ में मुझे तो लगता है ‘औणी गांव उव्वल गांव’ अर्थात हर गांव आत्मनिर्भर बने, हर व्यक्ति आत्मनिर्भर बने। बी वोकल फार लोकल की बात है, उसी लोकल को आगे लाने के लिये प्रत्येक को आगे आना होगा क्योंकि इससे प्यार बढेगा, रोजगार बढ़ेगा, व्यापार बढ़ेगा साथ ही साथ एक-दूसरे की संस्कृतियों के प्रति सम्मान बढ़ेगा और आत्मनिर्भर गांवों के लिये एक आधार मिलेगा।

स्वामी ने कहा कि माना गांव जिसे हम अन्तिम गांव मानते थे, उसे प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अन्तिम गांव नहीं है, बल्कि पहला गांव है, हमारे ऊर्जावान युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूरा प्रशासन उनके नेतृत्व में अद्भुत रूप से लगा है, ताकि प्रदेश को एक नयी पहचान मिले और देश का पूरे विश्व में सम्मान बढ़ें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में जिस ऊर्जा और उत्साह के साथ गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार शर्मा,जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल डा आशीष चौहान और वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक श्वेता चौबे, सभी अधिकारियों और सभी विभागों ने जिस प्रकार कार्य किया, वह अद्भुत है। पौड़ी जिले टिहरी और देहरादून जिले के अधिकारियों के मध्य जिस प्रकार का समन्वय देखने को मिल रहा है ,वह गौरव का विषय है , वास्तव में यह उत्तराखंड के लिये शानदार ऐतिहासिक पल है इन दिव्य पलों में हमारे वैश्विक अतिथियों का अभिनन्दन।

इस अवसर , केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, वित्त मंत्री उत्तराखंड सरकार प्रेमचंद अग्रवाल , उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, सहकारिता विभाग डा धनसिंह रावत , कृषि मंत्री, सुबोध उनियाल , विधायक, यमकेश्वर विधानसभा रेनू बिष्ट और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।

जी20 सम्मेलन में 19 देश ले रहे हैं भाग

 जिनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं।

ऋषिकेश, उत्तराखंड में होने वाली वर्किंग ग्रुप ऑन एंट्री करप्शन मीटिंग शेरपा ट्रैक के माध्यम से 13 कार्य समूह और 3 इनिशिएटिव के अन्तर्गत हो रही है। जी-20 सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी है। जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।जी-20 भ्रष्टाचार-रोध कार्य समूह (एसीडब्ल्यूजी) की स्थापना 2010 में की गई थी। भ्रष्टाचार-रोध कार्य समूह भ्रष्टाचार-रोध के संबंध में जी-20 नेताओं को रिपोर्ट करता है तथा इसका इसका लक्ष्य भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए जी-20 देशों की विधिक प्रणालियों के बीच न्यूनतम साझा मानक स्थापित करना है।यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सत्‍यनिष्‍ठा और पारदर्शिता, रिश्वतखोरी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, संपत्ति की वसूली, लाभकारी स्वामित्व संबंधी पारदर्शिता, असुरक्षित क्षेत्रों और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। जी-20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष एक क्रमिक अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है। शुरुआत में जी-20 व्यापक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था, परंतु बाद में इसके एजेंडे में विस्तार करते हुए इसमें व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार-विरोध शामिल किया गया।

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