सूर्य ग्रहण मैं तीर्थ नगरी के तमाम मंदिरों में लगे ताले तीर्थ पुरोहित समिति ने विश्व शांति के लिए त्रिवेणी घाट पर किया महायज्ञ गर्भवती स्त्री,नवजात शिशु,त्वचा,नेत्र,रक्त रोग से पीड़ित ग्रहण काल मे बाहर न निकले‌ : गोपाल गिरी ग्रहण काल में दान पुण्य जाप तप स्नान का विशेष महत्व:  विनय सारस्वत


ऋषिकेश, 25 अक्टूबर ।दीपावली के बाद मंगलवार को कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या का ग्रहण सूतक लग जाने के‌ उपरांत तीर्थ नगरी के तमाम मंदिरों को पूजा अर्चना के लिए बंद कर दिया गया है।

त्रिवेणी घाट ऋषिकेश पर ऋषिकेश तीर्थ पुरोहित समिति द्वारा विश्व के कल्याण और शांति हेतु महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें ऋषिकेश के तीर्थ पुरोहित ब्राह्मणों द्वारा विश्व में शांति और कल्याण की कामना करते हुए महा यज्ञ कर  पूर्णाहुति डाल कर जप और तप किया गया। इस अवसर पर तीर्थ पुरोहित समिति के अध्यक्ष विनय सारस्वत ने कहा कि ग्रहण काल के दौरान जप तप स्नान ओर दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। सभी प्रकार के कष्टो से निवति एवं कामनापूर्ति हेतु अपने इष्ट देव के मूल मंत्र का ग्रहण काल मे जाप करने से अनंत कोटि पुण्य की प्राप्ति होती है।

ग्रहण के बारे में जानकारी देते हुए महंत गोपाल गिरी ने बताया कि कार्तिक अमावस्या चतुर्दशी मंगलवार प्रातः 04.42 से प्रारंभ हो गई है जिसके कारण ग्रहण प्रारम्भ काल शाम – 04.42 से
ग्रहण का मध्यकाल‌ शाम – 05.36 से
ग्रहण मोक्षकाल शाम – 06.30 तक
खगोलीय विवेचना के अनुसार यह सूर्य ग्रहण ग्रस्तास्त है अर्थात इस ग्रहण का मोक्ष सूर्य अस्त ( 05.50 ) होने के उपरांत होगा अतः इस ग्रहण का शुध्दिकरण दी. 26 को सूर्य उदय के उपरांत होगा।

भारत के उत्तर-पूर्वीय भाग में यह ग्रहण प्रभावी नही हुआ..
ज्योतिषीय विवेचना.वृषभ,सिंह धनु एवं मकर राशि के जातकों के लिए शुभ मेष,मिथुन,कन्या एवं कुम्भ राशि के जातकों के लिए मध्यम कर्क,तुला,वृश्चिक एवं मीन राशि के जातकों हेतु अशुभ फल रहेगा।

ग्रहण काल के दान एवं अन्य उपाय‌‌ बतााए गए हैं

सर्वव भूमिसमं दानं सर्वे ब्रह्मसमा द्विजाःसर्व गंगासमं तोयं ग्रहणे चंद्रसूर्ययोः॥इन्दोर्लक्षगुणं पुण्यं रवेर्दशगुणं ततः।

जिसका अर्थ है कि स्नान,दान एवं श्राध्द आदिका चंद्रग्रहणमें लाख गुना पुण्य होता है और‌सूर्यग्रहण में 10 लाख गुना,और तीर्थ के समीप तो करोड़ों गुना फल हो जाता है। 
ग्रहण से उत्पन्न कष्टो की निवृत्ति हेतु कांसे के पात्र में घी,स्वर्ण अथवा चांदी की सूर्य देव की प्रतिमा,चावल,मसूर की दाल,ऊनि कंबल, कच्ची खिचड़ी,नमक एवं गुड़ का दक्षिणा सहित ग्रहण मोक्ष के उपरांत दान करे।

गोपाल गिरी का कहना था कि इस दौरान विशेष सावधानियां भी रखनी चाहिए जैसे गर्भवती स्त्री,नवजात शिशु,त्वचा,नेत्र,रक्त रोग से पीड़ित ग्रहण काल मे कदापि बाहर न निकले ही भोजन का त्याग करे फल,दूध,चाय,दही का सेवन कर सकते है,खाने पीने की सूखी वस्तु एवं कच्चे भोजन में कुशा रखे बालक,गर्भवती स्त्री,रोगी,वृध्द के अतिरिक्त सभी सूतक प्रारम्भ होते सूतक प्रारम्भ होते ही किसी भी प्रकार की मूर्ति,विग्रह इत्यादि का स्पर्श न करे बृह्मचारी रहे ग्रहण के स्पर्श ओर मोक्ष काल मे स्नान करे नग्न आँखो से ग्रहण न देखे। जिसे देखते हुए तीर्थ नगरी के तमाम मंदिरों में ताले लगा दिए गए हैं।

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