श्रावण मास के पहले दिन शिव भक्तों ने नीलकंठ में विधि विधान से आरती कर मनोकामना सिद्धि के लिए किया जलाभिषेक इस बार अधिमास होने से रहेगा, 59 दिन का श्रावण- भूपेंद्र गिरि


ऋषिकेश,04 जुलाई । नीलकंठ महादेव में मंदिर में श्रावण मास के पहले दिन लगभग शिव भक्तों ने भगवान नीलकंठ महादेव की विधि विधान से आरती कर मनोकामना सिद्धि के लिए जलाभिषेक किया।

इस दौरान भक्तों ने नीलकंठ महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक और भस्म आरती भी की । जिसमें मंदिर के पुजारियों द्वारा बाबा नीलकंठ को दूध दही का अभिषेक किया गया। वही बाबा नीलकंठ महादेव का भव्य श्रृंगार भी किया गया था, इसके बाद अखाड़े के गादीपति शिवानंद गिरी महाराज द्वारा भगवान को भस्मी अर्पित की गई। इसके बाद बाबा की आरती प्रारंभ हुई जिसे देख श्रद्धालु अभिभूत हो गए। यह पूरा सिलसिला अब दो महीने तक लगातार चलता रहेगा, और बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा नीलकंठ महादेव के दर्शन के लिए हर हर महादेव के उद्घोष के साथ पहुंचने शुरू हो गए हैं।

इस दौरान षड दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय रक्षा समिति के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा भूपेंद्र गिरी ने कहा कि भगवान शिव पार्वती और वेद व्यास जी के परम प्रिय शिष्य शुद्ध जी को कहते हैं, कि सावन मास मेरे को इसलिए प्रिय है, कि जब समुद्र मंथन में कालकूट विष पीने की वजह से भगवान शिव की जो उछलता बढ़ गई थी। उनकी शीतलता और शांति के लिए देवा दी देव महादेव के सभी कार्यों को सम्पन्न करवाने के लिए ब्रह्मा जी के द्वारा विष्णु भगवान के लिए जलाअभिषेक किया गया था। वह सावन मास में किया गया था, इसी के साथ सती के सती होने के बाद पार्वती जी का जब अवतरण हुआ तो सती ने पार्वती जी से भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए इसी सावन मास में निर्जल रहकर भगवान शिव की आराधना की थी , और भगवान के रुद्राभिषेक से भगवान को प्रसन्न किया था। उसी के पश्चात भगवान शिव ने पार्वती जी से पानी ग्रहण किया, इसलिए भगवान शिव कहते हैं कि यह सावन मेरे को बहुत प्रिय है। भगवान विष्णु एकादशी से देव उठानी एकादशी तक जप करते हैं। आलोक में तो उनके पालन का जो पोषण का जो कार्यभार है, वह भी भगवान शिव पर है। जो कि 2 महीने का रहता है। जिसके कारण यह अधि मास कहलाता है, जिसकी वजह से भक्तों को भगवान शिव का पूजन अभिषेक करने का और मौका मिलेगा।

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