उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा मशीनी खनन पर रोक लगाये जाने से ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना हो रही प्रभावित  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण उत्तराखंड रेल लाइन परियोजना सभी मानकों का पूर्ण रूप से अनुपालन किए जानें से पूर्ण रूप से सुरक्षित :अजीत सिंह

ऋषिकेश 26 सितम्बर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण उत्तराखंड की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना वर्ष 24 की अपेक्षा अब 26 में पूर्ण होगी, जिसका कारण उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा पहाड़ों में किए जाने वाले खनन पर रोक लगाई जाने के साथ कोरोना काल का होना भी बताया जा रहा है ।

यह जानकारी ‌रेल विकास निगम लि0 के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने मंगलवार को पत्रकारो से बातचीत करते हुए ‌बताया कि परियोजना के ‌प्रोजेक्ट का कार्य तेजी से गतिमान है।

इस परियोजना कि सबसे लंबी सुरंग 14.58 कि0मी0 का निर्माण किया जाना है। इस प्रोजेक्ट में 12 स्टेशनों‌ के साथ 19 प्रमुख रेल पुलों का निर्माण किया जाना है। वर्ष 2025 तक इस परियोजना को पूरा कराने का लक्ष्य रखा गया है।

जिसके अंतर्गत पहले चरण में वर्ष 2025 तक ऋषिकेश से ब्यसी तक रेल का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा, जिसमें 125 कि0मी0 रेल लाइन में करीब 104 किलोमीटर का हिस्सा भूमिगत सुरंगो से गुजरेगा। इस परियोजना में प्रतिदिन 170 मीटर सुरंग बनाने का कार्य किया जा रहा है।

परियोजना के संबंध में रेल विकास निगम लि0 के मुख्य परियोजना प्रबंधक अजीत सिंह यादव ने बताया कि परियोजना पूर्ण होते ही ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच यात्रा का समय 7 घंटे से घटकर केवल 3 घंटे रह जाएगा। इस परियोजना का सुरंग कार्य 2019 मे प्रारंभ हुआ है, और अभी तक इस परियोजना में 127 किलोमीटर अंडरग्राउंड सुरंग खुदाई का कार्य पूर्ण हो चुका है। 12 सितंबर 2023 तक गूलर और शिवपुरी के बीच निकासी सुरंग सं0-2 जो कि 6080 मी0 लम्बी है, कि खुदाई का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। साथ ही गूलर और शिवपुरी के बीच की मुख्य सुरंग भी फरवरी 2024 तक कार्य पूर्ण कर लिया जायेगा। इस रेल परियोजना में वीरभद्र सहित कुल 13 स्टेशन हैं। जिसमें से 12 स्टेशनों का कार्य एक साथ शुरू किया जाएगा।

इस परियोजना में यार्ड एवं स्टेशनों की लंबाई सवा किलोमीटर रहेगी तथा देवप्रयाग समेत कुछ प्लेटफाॅर्म का हिस्सा सुरंग के अंदर भी बनाया जायेगा। सभी सुरंगों को वाटरपू्रफ बनाया जा रहा है। जिससे वर्षा के दौरान भी आवागमन में किसी प्रकार की रुकावट पैदा न हो। इस परियोजना को हिमालयी क्षेत्र में आने वाले भूकंपों की दृष्टि से अत्यधिक सुरक्षित बनाया जा रहा है। रेल परियोजना प्रबंधक ने कहा कि रेलवे कर्मचारियों के लिए आवासीय व सर्विस कॉलोनी का भी निर्माण किया जाएगा।

आपातकालीन स्थिति में अग्निशमन के लिए अतिरिक्त पानी के टैंकों का निर्माण किया जायेगा, जिसका कार्य भी प्रगति पर है। परियोजना में अधिग्रहण की गई भूमि का पूर्ण रूप से प्रतिकर दे दिया गया है। परियोजना में तीन किलोमीटर से लंबी मुख्य सुरंगों के साथ निकासी सुरंगों का भी निर्माण किया गया है जिससे आपात स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित किया जा सके। हालांकि इस परियोजना के पूर्ण होने की समयावधि दिसंबर 2024 थी, परंतु कोविड महामारी के चलते विलंब होने की आशंका है। साथ ही उच्च न्यायालय, नैनीताल उत्तराखण्ड द्वारा मशीनी खनन पर रोक लगाये जाने से परियोजना में प्रयोग होने वाले कच्चे माल की उपलब्धता प्रभावित हो रही है। जिसका प्रभाव परियोजना की अवधि पर पड़ना निश्चित है। सुरंग संख्या-08 जोकि 14.58 किमी लंबी है का निर्माण टनल बोरिंग मशीन से किया जा रहा है, इसके अलावा सभी सुरंगों की खुदाई ड्रिल एवं ब्लास्ट पद्धति से की जा रही है। जिसमें सभी मानकों का पूर्ण रूप से अनुपालन किया जा रहा है। जिससे किसी प्रकार की कोई भी हानि आसपास के रिहायशी इलाकों में न हो। कुछ मामलों में मकानों में दरारों की शिकायत को देखते हुए तकनीकी विशेषज्ञों से स्थलों का निरीक्षण किया जा रहा है ,जिससे किसी भी प्रकार की होने वाली क्षति का आंकलन कर मुआवजा दिया जा सके।पत्रकार वार्ता में अजीत सिंह यादव,मालगुडी, भूपेंद्र राणा, सहित अन्य अधिकारी भी थे।

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