प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “एक देश एक शिक्षा” की नीति को लग रहा पलीता एनसीआरटी की किताबों के मूल्य में अंतर व स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि, महंगी प्राइवेट पुस्तकों के लागू होने से अभिभावक त्रस्त  उत्तराखंड जन विकास मंच ने प्रधानमंत्री मोदी को एसडीएम के माध्यम से भेजा ज्ञापन, 


  ऋषिकेश 10 अप्रैल।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण योजना “एक देश एक शिक्षा” के अन्तर्गत एन.सी.ई.आर.टी. पुस्तकों के मूल्य में अन्तर समाप्त करने के साथ अन्य महत्वपूर्ण विषयों के सन्दर्भ में  उत्तराखंड जन विकास मंच की ओर से उप जिलाधिकारी ऋषिकेश के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन प्रेषित किया गया है। 

 बुधवार को ऋषिकेश तहसील में उत्तराखंड जन विकास मंच के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा के नेतृत्व मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उप जिलाधिकारी के माध्यम से दिए गए ज्ञापन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 साल के शासन काल में देश को प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए बहुत ही क्रान्तिकारी निर्णय लिये गये, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नवीन भारत के निर्माण में बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है जिसके अन्तर्गत एक देश एक शिक्षा की अवधारणा बलवती हुई है।

परन्तु उत्तराखण्ड प्रदेश में निजी विद्यालयों द्वारा छात्र/छात्राओं की फीस वृद्धि के साथ प्राइवेट किताबें लगाने का दबाव अभिभावकों पर दिया जा रहा है।

दिल्ली व उत्तराखण्ड प्रदेश की एन.सी.ई.आर.टी. के मूल्यों में भी काफी अंतर है, जहां दिल्ली प्रदेश की कक्षा एक की एन.सी.ई.आर.टी. मृदंग पुस्तक का मूल्य 65.00 रुपये है वही उत्तराखण्ड की मृदंग का मूल्य 94.20 रुपये है। जबकि दोनों पुस्तकें मई 2023 में ही छपी हैं।

इसी तरह की बढोत्तरी प्रत्येक कक्षा की एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तकों में की गई है। जोकि उत्तराखण्ड प्रदेश के हितों के प्रतिकूल है।

 उन्होंने ज्ञापन में मांग करी की एक देश-एक शिक्षा की अवधारणा को साकारित करने हेतु एन.सी.ई.आर.टी. के मूल्यों के अंतर को समाप्त करने के साथ उत्तराखण्ड प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा एन.सी.ई. आर.टी. के अतिरिक्त अन्य महंगी प्राइवेट पुस्तकों को लगाने से रोका जाए व उत्तराखण्ड सरकार को मॉडल फीस एक्ट लागू करने का निर्देश देकर अभिभावकों के उत्पीड़न को रोकने की कृपा करें।

इस अवसर पर शैलेंद्र चौहान, अरुण बिष्ट,  देवेंद्र बेलवाल, लाखीराम रतूड़ी, भारत भूषण आदि मौजूद थे। 

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