डॉक्टर के साथ छेड़छाड़ के आरोपी नर्सिंग ऑफिसर को अभिरक्षा में लेने के लिए पुलिस और एम्स प्रशासन की कार्रवाई को लेकर उठे प्रश्न इमरजेंसी जैसे संवेदनशीलशील वार्ड में भर्ती रोगियों की जान क्या इतनी सस्ती मेडिकल वार्ड की चौथी मंजिल और इमरजेंसी कोरीडोर जैसे गंभीर वार्ड में पुलिस को आख़िर क्यों दोडानी पड़ी गाड़ी सुरक्षा गार्डों और पुलिस की भारी संख्या के होते हुए आखिर आरोपी की अभिरक्षा को लेकर इतनी कोताहि क्यो
ऋषिकेश 22 मई । ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती मरीजों में उस समय अफरा तफरी मच गई जब संस्थान में कार्यरत महिला डॉक्टर के साथ वही कार्यरत एक नर्सिग अधिकारी द्वारा छेड़छाड़ के आरोप में पुलिस ने आरोपी नर्सिंग अधिकारी को अभिरक्षा में लेने के लिए इमरजेंसी वार्ड में ही पुलिस गाड़ी दौड़ा दी। पुलिस की गाड़ी एम्स ऋषिकेश की मेडिकल बिल्डिंग की चौथी मंजिल पर तेजी से पहुंची, बल्कि वापसी में इमरजेंसी जैसे बेहद संवेदनशीलशील क्षेत्र से होकर भी गुजरी।
सवाल यह उठता है कि इमरजेंसी जैसे गंभीर वार्ड के कोरीडोर में भर्ती लोगों की जान को क्या इतना हल्के में लिया गया कि एम्स के अफसर और तैनात सुरक्षा अधिकारी वाहन को अन्यंत्र आवाजाही स्थान पर ले जाने की बजाय इमरजेंसी के कॉरिडोर में गंभीर मरीजों की स्टेचर को हटाते नजर आए। एम्स परिसर में उपस्थित भारी संख्या में सुरक्षा गार्डों और पुलिस बल के होते हुए आखिर आरोपी की अभिरक्षा को लेकर इतनी कोताहि क्यो बरती गई। बेहद संवेदनशील इमरजेंसी में संक्रमण और अन्य कई तरह से मरीजों को बचाने के इंतजाम के बीच पुलिस की गाड़ी गुजारी गई । जिससे इमरजेंसी वार्ड कॉरिडोर में भर्ती रोगियों के बीच अफरातफरी मच गई। और एम्स प्रशासन के गार्ड द्वारा मरीजो के बेड को इधर-उधर सरकाते नजर आए। जिसकी सोशल मीडिया पर जमकर वीडियो भी वायरल हो रही है।
यदि पुलिस द्वारा आरोपी नर्सिंग अधिकारी को सुरक्षा की दृष्टी से हिरासत में लेने के लिए पुलिस और एम्स प्रशासन द्वारा जो कदम उठाए गए वह कहीं ना कहीं सवालिया निशान उठाते हैं ,एम्स जैसे बड़े संस्थान में कई लिफ्ट और सीढ़ियां होने के बावजूद एम्स के इमरजेंसी वार्ड और मरीजों की स्ट्रेचर और गाडी को लाने ले जाने के लिए बने रैंप पर पुलिस को अपनी गाड़ी दौडानी पड़ी। यह तो गनीमत रही कि इस बीच किसी मरीज के साथ कोई बड़ा हादसा नहीं घटा।
इस संबंध में एम्स प्रबंधन जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार सिंह का कहना है कि उन्हें पुलिस के द्वारा गाड़ी लाने ले जाने को लेकर कोई भी जानकारी नही थीं, कहां से प्रवेश किया और कहा से बाहर निकला। उन्होंने इसकी किसी भी तरह की अनुमति नहीं दी थी, इमरजेंसी के कॉरिडोर से पुलिस की गाड़ी को ले जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
वही दूसरी ओर एम्स चौकी प्रभारी विनेश कुमार ने कहा कि एम्स के सिक्योरिटी गार्ड ने जो रास्ता दिखाया हम उस पर चले।
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