पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सपरिवार  पहुंचे तीर्थ नगरी गंगा किनारे माँ गंगा के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती- रामनाथ कोविंद भारत के जीवन से प्रभु श्री राम के जीवन को निकाल दें, तो उसके बिना भी भारत अधूरा रहेगा


ऋषिकेश, 04 जून । भारत के 14 वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि‌ जब हम श्री राम कथा या माँ गंगा की बात करते हैं तो उन्हें लगता है कि माँ गंगा के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती, और इसी तरह से भारत के जीवन से प्रभु श्री राम के जीवन को निकाल दें तो उसके बिना भी भारत अधूरा रहेगा। यह बात पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने यहां परमार्थ निकेतन में आयोजित श्री राम कथा में सपरिवार पहुंचने के उपरांत कहीं, जिन्होंने अपनी विगत भेंट और परमार्थ निकेतन की स्मृतियों का स्मरण भी किया।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद , अपने पति साविता कोविंद और बेटी स्वाति के साथ आए हैं, जिन्होंने गंगा तट पर पर्यावरण व जल संरक्षण के प्रति जनसमुदाय को जागरूक करने तथा सामाजिक व तात्कालिक समस्याओेें के समाधान हेतु समर्पित मासिक ‘श्री राम कथा’ में सहभाग किया।
इस दिव्य कथा का उद्देश्य है कि वैश्विक स्तर पर स्वच्छता, स्वच्छ जल, नदियों का संरक्षण, सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त विश्व का निर्माण करने हेतु जन समुदाय को जागरूक करना तथा पौधारोपण, महिला सशक्तिकरण, शादी से पहले शिक्षा का संदेश प्रसारित कर बाल विवाह को समाप्त करना, नशा मुक्त भारत, भ्रूण हत्या जैसे विषयों पर श्री राम कथा के मंच से संदेश प्रसारित कर जनसमुदाय को संकल्पित करना है।
राष्ट्रपति भारत रामनाथ कोविंद ने कहा कि माँ गंगा के पावन तट पर मुरलीधर के मुखारबिन्द से एक माह तक चलने वाली यह राम कथा श्रवण करने का अवसर पूर्व जन्म का पुण्य और मां गंगा के पावन तट दोनों का संयोग और राम कथा का संयोग है। यह संयोग जीवन में कभी-कभी मिलता है और जो बहुत सौभाग्यशाली होते हैं , उन्होंने कहाकि जब हम श्री राम कथा की बात करते हैं या माँ गंगा की बात करते हैं तो उन्हें लगता है, कि माँ गंगा के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती और इसी तरह से भारत के जीवन से प्रभु श्री राम के जीवन को निकाल दें, तो उसके बिना भी भारत अधूरा रहेगा। ये भारत के लोगों की जो पूर्णता है, प्रभु श्री राम की कथा का सार जो मैंने अपने जीवन में समझा है वह केवल एक ही है , लोककल्याण,जिसकी शुरूआत हमारे जीवन में नहीं हो तो कम से कम यहां से जाने के बाद में जरूर समझूंगा।
उन्होंने कहा कि
स्वामी चिदानंद मुनि के जीवन को मैने नजदीक से देखा है, स्वामी के चिंतन में मैने पाया कि वह हमेशा लोककल्याण की बात करते हैं। अभी जिसका उल्लेख किया उन्होंने दिव्यांगजानों का, बेटियों का और असहायों का जिनको बाकई मदद की जरूरत है, और कभी-कभी वे एक बात और कहते हैं मैं किसी से परमार्थ निकेतन के लिये कोई दान नहीं मांगता हूँ। यह वास्तव में गंगा के इस पार का पूरा बेल्ट जिसे मैं स्वर्गाश्रम मानता हूँ और जीवन में आपको स्वर्ग मिल जाये तो इससे बड़ी बात क्या हो सकती है।
प्रभु श्री राम का जीवन वास्तव में अनुकणीय हैं। राम सर्व समर्थ है, आप उनके नाम की संज्ञा किसी भी धर्म, सम्प्रदाय किसी को भी दे दिजिये लेकिन राम, राम हैं और राम, राम ही रहेंगे।
मैंने भारत के सामथ्र्य को देखा है और सामथ्र्य कब दिखता है जब अपनों के बीच होते है तो सामथ्र्य नहीं दिखता है।
उनका कहना था कि उन्होंने एक ऐसा दौर भी देखा कि 2020 में महामारी को भारत ने ही नहीं पूरे विश्व ने झेला। जब एक महामारी आती है तो त्राहिमाम-त्राहिमाम हो जाता है, उसमें दूसरे का जीवन, दूसरे का सुख, दूसरे का कल्याण नहीं समझ में आता है, केवल अपना स्वार्थ कि मेरा जीवन कैसे बचे और मेरा यदि बच जाता है तो मेरे परिवार का कैसे बचें इससे उपर की सोच नहीं बन पाती लेकिन भारत ने वह कर के दिखाया। दूसरे देश जिन्हें हम कहते हैं वैश्विक शक्तियां वो लोग फेल हो गये।
हम भारतीयों की सकारात्मक सोच होती है जो बीत गया सो बीत गया। उस समय हमारी 130 से 135 करोड़ जनसंख्या थी, उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह देश का सामथ्र्य है जिनमें इतना विश्वास था कि अगले तीन महीने में वह वैक्सीन का निर्माण कर सकेंगे और इतना निर्माण कर सकेंगे कि हमारे यहां पर टीकाकरण प्रारम्भ हो जायेगा। और वास्तव में यह हुआ भी। उन्होंने कहा कि भारत ने नामुनकिन चीज को पूरा कर दिखाया और भारत की सामथ्र्य को पूरे विश्व ने देखा । भारत ने अपने देशवासियों का टीकाकरण किया और जहां जहां जरूरत है वसुधैव कुटुम्बकम् के मंत्र को चरितार्थ कर करने की ।दिखाया और सार्थक रूप प्रदान किया।
जिसने मुफ्त में टीकाकरण कराया। उनके विदेशी दौरे में अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने कहा कि भारत ने हमारे देश के लोगों को बचाया है ।यह सुनकर उन्हें अत्यंत खुशी होती थी ,वह हर वक्त भारत के सामथ्र्य की बात करते थे।
यह दौर भारत के लिये बहुत टर्निंग पांइट पर है। लोग कहते है कि भारत विश्व गुरू बनने की कगार पर है, मैने इसका विषलेशन किया कि सब लोग कहते हैं कि भारत विश्व गुरू बनने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि विश्व गुरू अर्थात एक वैश्विक शक्ति। उन्होंने देखा कि सही मायने मेें हम वैश्विक शक्ति बनने की कगार पर हैं उन्हें लगता है वह वैश्विक शक्ति बन चुके हैं, लेकिन नजरिये का फर्क है।
इस अवसर पर उन्होंने युक्रेन और रूस के युद्ध पर बात करते हुये कहा कि उस समय हमारे देश के 23 हजार बच्चे वहां पर फंसे हुये थे। भारत की सामथ्र्य ही थी,कि जब सब देशों ने हाथ खडे कर दिये उस समय भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन और रूस से बात करके अपने बच्चों को निकाला। रूस और यूक्रेन के प्रेसिंडेंट से बात कि और कहा कि 24 घंटे के लिये युद्ध बंद कर दीजिये हम अपने बच्चों को निकाल लेंगे। भारत की ओर से एक संदेश दिया गया कि तिरंगा झंडा देखना है, यहां आने के बाद उन्हें निकाल लाया गया। यह भारत की और तिरंगे झंडे की शक्ति और सामथ्र्य ही थी।
उन्होंने कहा कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है केवल और केवल सार्थक चर्चा, आपसी चर्चा के माध्यम से ही समाधान निकाल सकते हैं, आज जो भारत की स्थिति बनी हुई है पूरे विश्व में वह अलग प्रकार की है। जी-7 सम्मेलन का जिक्र करते हुये कहा कि भारत जी – 7 का सदस्य भी नहीं है ,परन्तु हमारी सामथ्र्य, शक्ति और ताकत को देखते हुये भारत को आमंत्रित किया इसलिये कि उन्हें लगा कि भारत नहीं आयेगा तो यह सम्मेलन अधुरा रहेगा।
कोविंद ने कहा कि भारत के 140 करोड़ भारतीयों की शक्ति है। जी 20 की अध्यक्ष्ता भारत कर रहा है ,यही तो है वैश्विक शक्ति, विश्व गुरू। जी 20 आपके दरवाजे पर खड़ा है, भारत में खड़ा है,
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व को सम्भालने के लिये सबसे अधिक लोकोपयोगी चरित्र किसी का है
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा भगवान श्री राम के पास सत्य की साधना थी। उनके जीवन में एक ओर सत्ता थी और एक ओर सत्य था। अयोध्या में भव्य और दिव्य राममन्दिर का निर्माण ही नहीं बल्कि भाव मन्दिर का निर्माण हो रहा है। राष्ट्र साधना को प्रमुखता में रखते हुये जीवन महाभारत से महान भारत यात्रा का उल्लेख करते हुये कहा कि रामायण के सारे चरित्र हमें प्रेरणा प्रदान करते है।

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