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ऋषिकेश भी चमकेगा अब उज्जैन और काशी की तर्ज पर ,  धामी सरकार कैबिनेट की बैठक के महत्वपूर्ण निर्णय के बाद तीर्थ नगरी के विकास को लगेंगे पंख, जानिए किस-किस योजनाओं का इंतजार है ऋषिकेश को


ऋषिकेश, 0 5 अगस्त।  उत्तराखंड सरकार अब‌ योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के रूप में विख्यात तीर्थ नगरी का विकास काशी और उज्जैन की तर्ज पर करेगी।

शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध काशी और उज्जैन के तीर्थों की तर्ज पर ऋषिकेश को संवारने का निर्णय लिया है। वर्तमान में कई तरह की चुनौतियों का सामना इस शहर को करना पड़ रहा है।

जी-20 जैसी महत्वपूर्ण बैठक की शानदार मेजबानी कर चुके ऋषिकेश शहर को अब विकास के रूप में नई संजीवनी मिलेगी।

तीर्थ नगरी ऋषिकेश को जगद्गुरु शंकराचार्य, साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन, स्वामी विवेकानंद, दिव्या जीवन संघ के संस्थापक स्वामी शिवानंद, हठ योगी डा. स्वामी राम, भावातीत योग के प्रणेता महर्षि महेश योगी, काली कमली वाले स्वामी विशुद्धानंद , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान संतों का सानिध्य मिल चुका है।

देश के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेई, तत्कालीन राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम, रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह यहां आ चुके हैं।

पौराणिक काल से यहां अर्ध कुंभ और महाकुंभ का आयोजन होता आया है। जी-20 जैसा महत्वपूर्ण और सफल आयोजन यहां हो चुका है। अपने आप में महत्वपूर्ण तीर्थ नगरी ऋषिकेश में बड़ी संख्या में मंदिर, मठ, आश्रम, आध्यात्मिक केंद्र और योग केंद्र का संचालन होता आया है। धरातल पर अपनी पहचान के मुताबिक इस शहर को वह स्थान नहीं मिल पाया जिसका यह हकदार था।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में गुरुवार को राजधानी में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया कि ऋषिकेश को उज्जैन और काशी की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। कैबिनेट का यह फैसला निश्चित रूप से तीर्थ नगरी ऋषिकेश और आसपास क्षेत्र के लिए एक बड़ी संजीवनी साबित होगा। कई महत्वाकांक्षी योजनाएं ऐसी हैं जो वर्षों से प्रस्तावित है मगर, धरातल पर नहीं उतर पाई हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश, योग नगरी रेलवे स्टेशन की सौगात इसे मिल चुकी है। महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का मुख्यालय यहीं पर है और इस परियोजना का प्रथम रेलवे स्टेशन भी ऋषिकेश में ही है। देहरादून एयरपोर्ट की दूरी यहां से मात्र 20 किलोमीटर है। चार धाम यात्रा और गढ़वाल मंडल का यह प्रवेश द्वार भी है। वायु मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग सभी से जुड़ा होने के कारण ऋषिकेश का महत्व और बढ़ जाता है। राज्य कैबिनेट के फैसले के बाद निश्चित रूप से ऋषिकेश के लिए लंबित जितनी भी योजनाएं हैं, उन्हें पंख लग जाएंगे इसकी सभी को उम्मीद है।

ऋषिकेश को है इनका इंतजार

– हर की पैड़ी हरिद्वार की तर्ज पर त्रिवेणी घाट का विकास

– गंगा से मात्र 100 मीटर की दूरी पर कूड़े के पहाड़ का निस्तारण

– नेपाली फार्म से लेकर तपोवन मुनिकीरेती तक एलोवेटेड रोड और फ्लाईओवर का निर्माण
– नगर तथा ग्रामीण क्षेत्र के लिए सीवर योजना का पुनर्गठन
– नगर निगम को आर्थिक और मानव संसाधन के रूप में मजबूती
– तीर्थ नगरी के लिए ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण
– नगर तथा आसपास क्षेत्र में बहुमंजिला पार्किंग का निर्माण
– बड़ी फल एवं सब्जी मंडी का विस्तारीकरण
– गंगा में वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियों का संचालन
– नगर क्षेत्र का नया ड्रेनेज सिस्टम, सड़कों का विस्तार और पुनर्गठन
– त्रिवेणी घाट को आस्था पत्र के जरिए मुनिकीरेती से जोड़ना
– वन भूमि क्षेत्र में कई वर्षों से विकसित नगर निगम क्षेत्र की आबादी का नियमितीकरण
– पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण संजय झील का विकास

अनीता ममगाईं,महापौर, नगर निगम ऋषिकेश का कहना है कि
भारत स्वच्छता अभियान के तहत ऋषिकेश को आदर्श नगर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर धामी पहले से प्रयासरत रहे हैं। यही कारण है कि कई बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट ऋषिकेश को मिले हैं। कैबिनेट के फैसले से नगर निगम की नई प्रस्तावित योजनाएं धरातल पर उतरेगी और निश्चित रूप से ऋषिकेश में इसके महत्व के अनुरूप विकास को गति मिलेगी।


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