ऋषिकेश/ नैनीताल /नईदिल्ली 24 मई। उत्तराखंड हाई कोर्ट की शिफ्टिंग को लेकर खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्ट करने के सम्बंध में उत्तराखंड हाईकोर्ट के 8 मई को जारी आदेश पर रोक लगा दी है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस आदेश में राज्य सरकार से एक माह के भीतर हाईकोर्ट के लिये जगह तय करने व हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एक पोर्टल तैयार कर उसमें अधिवक्ताओं व जनता की राय लेने को कहा गया। साथ ही कई अन्य निर्देश भी दिए थे।हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एस एल पी दायर की थी।शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की अवकाश कालीन पीठ के न्यायधीश न्यायमूर्ति पीएस नरसिंहा व न्यायमूर्ति संजय करोल की खंडपीठ ने उक्त आदेश पर रोक लगा दी है। उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन केअध्यक्ष डी सी एस रावत इस मामले में पैरवी के लिये अन्य पदाधिकारियों के साथ दिल्ली में हैं।इस मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है. आज हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की SLP पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पीवीएस सुरेश बहस ने की. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीसीएस रावत ने इसकी पुष्टि की है.ये मामला अब छुट्टियों के बाद यानी 8 जुलाई के बाद लिस्टेट है.
बताते चले बीती 08 मई को आईडीपीएल ऋषिकेश से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव, उत्तराखंड राधा रतूड़ी व मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आर के सुधांशु वीसी के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित हुए थे। जिन्हें हाईकोर्ट ने नैनीताल से कोर्ट शिफ्ट करने की सूचना दी थी और उसी दिन दोपहर बाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व अधिवक्ताओं का पक्ष भी सुना गया।
उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट को नैनीताल से स्थानांतरित करने के मुद्दे को शीघ्र निपटाने के लिए हाईकोर्ट ने एक प्रक्रिया तैयार की है।
यह पूरी प्रक्रिया मुख्य सचिव द्वारा एक माह के भीतर पूरी की जाएगी और मुख्य सचिव 7 जून 2024 तक अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपेंगे।
हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में अधिवक्ताओं व जनसामान्य की राय भी बहुत आवश्यक है। मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने Registrar General High Court को 14 मई 2024 तक एक पोर्टल बनाने का निर्देश दिया है। पोर्टल में अधिवक्ताओं व जनसामान्य के इस मामले में सुझाव लिए जाने हैं कि वे नैनीताल से हाईकोर्ट को शिफ्ट करने के पक्ष में हैं या विपक्ष में। अधिवक्ता और वादकारी यदि हाईकोर्ट के शिफ्ट करने के पक्ष में हैं तो हां, चुनकर अपनी इच्छा बताने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके विपरीत यदि वे हाईकोर्ट के शिफ्ट करने के विपक्ष में हैं तो भी अपनी नामांकन संख्या, तिथि और हस्ताक्षर दर्शाकर नहीं लिखेंगे। पोर्टल पर सभी की इच्छाएं 31 मई तक दर्ज की जानी आवश्यक है। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को इस सूचना का राज्य के सभी जिलों में व्यापक प्रसार वाले स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के भी निर्देश दिए हैं।
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