एम्स ऋषिकेश में सिलक्यारा टनल हादसे के श्रमिक के जन्मजात दिल के छेद की सफल सर्जरी कर श्रमिक को मिला नया जीवन,  श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच के दौरान एम्स के डाॅक्टरों को पता चला दिल के छेद का  रोजगार की तलाश में गया था उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल



ऋषिकेश 5 जनवरी।  एम्स ऋषिकेश में सिलक्यारा टनल हादसे के श्रमिक के जन्मजात दिल के छेद की सफल सर्जरी कर एम्स संस्थान द्वारा श्रमिक को नया जीवनदान दिया गया है।

बताते चले सिलक्यारा (उत्तरकाशी) की निर्माणाधीन टनल में एक मजदूर ऐसा भी था जिसे नहीं पता था कि उसके दिल में जन्मजात छेद है। 24 साल का यह श्रमिक उत्तराखण्ड के चम्पावत जिले का रहने वाला है और उसका नाम पुष्कर सिंह है। श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच के दौरान एम्स के डाॅक्टरों को यह बात पता लगी कि पुष्कर के दिल में छेद है और समय रहते यदि उसका आॅप्रेशन न किया गया तो आगे चलकर उसके जीवन को खतरा हो सकता है। ऐसे में एम्स के डाॅक्टरों ने पुष्कर की ओपन हार्ट सर्जरी करने का निर्णय लिया और हाल ही में 28 दिसम्बर को इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पुष्कर अब स्वस्थ है और शुक्रवार को उसे एम्स से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

इस बारे में जानकारी देते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने बताया कि पुष्कर के स्वास्थ्य जांच में यह पता चला था कि उसके दिल में छेद जन्म के समय से ही है लेकिन अभी तक वह इस बीमारी से अनभिज्ञ था। सर्जरी करने वाले सीटीवीएस विभाग के वरिष्ठ सर्जन डाॅ. अंशुमान दरबारी ने बताया कि हांलाकि अभी पुष्कर को कोई समस्या नहीं है लेकिन भविष्य में यह दिक्कत उसके लिए खतरे का सबब बन सकती थी और उसे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्या पैदा हो सकती थी।

उन्होंने बताया कि पुष्कर का सम्पूर्ण इलाज राज्य सरकार की अटल आयुष्मान योजना के तहत निःशुल्क किया गया है। पहली दिसम्बर को जब सभी श्रमिकों को एम्स से डिस्चार्ज किया गया था, उस समय पुष्कर मानसिक तौर से सर्जरी के लिए तैयार नहीं था। इसलिए उसे सर्जरी के लिए दोबारा एम्स बुलाया गया। उन्होंने कहा कि पुष्कर की ओपन हार्ट सर्जरी की गयी है और रिकवर होने में उसे मात्र 7 दिन का समय लगा है। यह सर्जरी पिछले सप्ताह ही 28 दिसम्बर को की गयी।

उल्लेखनीय है कि नवम्बर माह में उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे में फंसे कुल 41 श्रमिकों में चम्पावत जिले का पुष्कर सिंह भी शामिल था। 29 नवम्बर को सभी श्रमिकों को रेस्क्यू कर जब हेलीकाॅप्टर से एम्स ऋषिकेश पहंुचाया गया तो अन्य श्रमिकों की भांति ही पुष्कर के स्वास्थ्य की भी चिकित्सकों द्वारा सघन जांच की गयी थी।

स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान इको कार्डियोग्राफी करते समय मौके पर मौजूद कार्डियोलाॅजी विभाग के चिकित्सक डाॅ. वरूण कुमार को पता लगा था कि पुष्कर के दिल में छेद है।

संदिग्ध परिस्थितियों में डॉक्टर की वर्दी पहनकर ऋषिकेश एम्स में घूम रहा था नकली डॉक्टर, कर्मचारियों में पकड़कर किया पुलिस के हवाले फर्जी डॉक्टर के मोबाइल नंबर से 50 से अधिक रजिस्ट्रेशन एम्स में कराए गए, लाखों रुपए की कई लेने देन भी मोबाइल में, बड़े फर्जीवाड़े की आशंका



ऋषिकेश, 19 सितम्बर । अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश (एम्स ) में फर्जी डॉक्टर बनकर घूम रहे एक युवक को सेवा वीरों ने पकड़ कर‌ मंगलवार को पुलिस के हवाले दिया गया है।

एम्स के प्रशासनिक अधिकारी ने युवक को पुलिस के हवाले कर दिया है। इसके बाद एम्स के प्रशासनिक अधिकारी द्वारा पुलिस को दी गई ‌तहरीर के बाद युवक के विरुद्ध जांच पड़ताल प्रारंभ कर दी है।

एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल के मुताबिक आज सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में डॉक्टर की वर्दी पहनकर घूम रहा एक युवक सेवा वीरों को दिखाई दिया।युवक से पूछताछ करने पर उसने खुद को न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट का डॉक्टर बताया, लेकिन पूछताछ में युवक की बातें संदिग्ध दिखाई दी। जिसके बाद एम्स के प्रशासनिक अधिकारी मौके पर आए। पूछताछ में युवक फर्जी रूप से डॉक्टर की वर्दी पहनकर घूमता पाया गया।

जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारी संदीप कुमार ने एम्स चौकी पुलिस को तहरीर देकर फर्जी डॉक्टर बने युवक के खिलाफ गहन जांच पड़ताल और कानूनी कार्रवाई करने के लिए कहा है। युवक की पहचान सचिन कुमार निवासी कृष्णा नगर कॉलोनी ऋषिकेश के रूप में हुई है।

सचिन ने एम्स के अधिकारियों को बताया कि उसने कोविड-19 के दौरान डीआरडीओ के अस्पताल में बतौर हॉस्पिटल अटेंडेंट के रूप में काम किया है। जिसके बाद वह यहां से चला गया।

पीआरओ हरीश थपलियाल ने बताया कि फर्जी डॉक्टर के मोबाइल नंबर से 50 से अधिक रजिस्ट्रेशन एम्स में कराए गए हैं,जिसका डाटा बरामद कर लिया गया है,इसके अलावा उसके पास 10 हजार से अधिक नकद रुपए भी बरामद हुए हैं। जबकि उसके मोबाइल से लाखों रुपए की कई लेने देन भी हुई है। इसके अलावा कई प्रकार के फर्जी दस्तावेज भी उसके मोबाइल में देखे गए हैं। यह मामला केवल डॉक्टर की वर्दी पहनकर फर्जी रूप से घूमने तक सीमित नहीं हो सकता। कई प्रकार के और षड्यंत्र भी इसमें शामिल हो सकते हैं।

इसलिए इसकी गहन जांच करनी जरूरी है। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर पुलिस से इसमें बड़ी कार्रवाई करने के लिए भी कहा जाएगा।आपको बता दें कि एम्स में बड़ी संख्या में मरीज उपचार के लिए पंहुचते हैं, लेकिन बेड की संख्या सीमित होने के कारण कई लोगों को वापस जाना पड़ता है,ऐसे में इस तरह के कुछ लोग उनकी मजबूरी का भी फायदा उठा लेते हैं, और उनको प्राइवेट अस्पतालों में भी भेजने के नाम पर मोटी कमीशन खा लेते हैं,वहीं कई तरह की जांच और बेड दिलवाने के नाम पर भी फर्जीवाड़ा हो सकता है।