तीर्थ नगरी में उगते सूर्य को व्रती महिलाओं ने अर्घ्य देने के बाद छठ मैया की पूजा कर सुख समृद्धि की, कि‌ कामना छठी माता के गीतों के‌ साथ जमकर की गई आतिश बाजी से गूंजा त्रिवेणी घाट त्रिवेणीघाट को‌‌ सजाया गया था लाइटिंग से



ऋषिकेश,31अक्टूबर‌ ।चार दिवसीय छठ महोत्सव का समापन सोमवार की सुबह वर्ती महिलाओं के सूर्य भगवान को अर्पित किए जाने के साथ और रात भर चले लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त बिरहा प्रतियोगिता के समापन के साथ हुआ ।

देश के साथ उत्तराखंड में भी लोकपर्व छठ चमक बिखेरने लगा है। यहां लोक आस्था के पर्व छठ महोत्सव‌‌ में नरेंद्र नगर मुनी की रेती रायवाला जिगरवाला श्यामपुर सहित ग्रामीण क्षेत्रों से ‌तीर्थनगरी के गंगाघाटों,तटों पर‌सारी रात‌ आस्था का सैलाब उमड़ा रहा। पर्व पर छठी माता के भक्तों ने भगवान भास्कर की विधि विधान से आराधना की। आस्था के इस पावन पर्व पर पूर्वांचल मूल के हजारों लोग बाजेगाजों के साथ त्रिवेणीघाट समेत विभिन्न इलाकों से गंगातटों पर पहुंचे। जिसके चलते त्रिवेणीघाट पर भजन संध्या और बिरहा मुकाबला भी आयोजित किया गया। तीर्थनगरी और आसपास के इलाकों में सूर्य भगवान की आराधना का लोकपर्व छठ हर्षोल्लास से मनाया गया। इस मौके त्रिवेणीघाट को दुल्हन की तरह सजाकर पूजा-आराधना के लिए खासे इंतजाम किए गए थे। रविवार अपराह्न के बाद से श्रद्धालुओं के गंगातटों पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। जो कि सूर्यास्त से कुछ देर पहले तक अनवरत जारी रहा। इस दौरान श्रद्धालु अलग-अलग इलाकों से टोलियां बनाकर टोकरियों में पूजा सामग्री लेकर गंगातटों पर पहुंचे। श्रद्धालुओं ने शाम सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और पारिवारिक सुख-शांति, समृद्धि की कामना की। उधर, त्योहार के दृष्टिगत श्रद्धालु महिलाओं का निर्जल व्रत सोमवार को चौथे दिन भी जारी रहा। जिसे महिलाए प्रात: सूर्योदय पर अर्घ्य के बाद व्रत खोला।

विदेशी पर्यटकों में भी दिखा उत्साह दिखाई दिया जिन्होंने सुहागिन वर्ती महिलाओं के‌‌मोबाइल और कैमरा में  चित्र खींचते दिखे।  त्रिवेणीघाट पर छठ पूजा के दौरान उमड़ी भीड़ को देखने के लिए विदेशी पर्यटकों में भी काफी उत्साह दिखा।जो कि‌रात भर सोलह श्रृंगारों में सजी सुहागिन महिलाएं विदेशी पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र रही। घाट पर उमड़ी भीड़ को देख विदेशी पर्यटक इस त्योहार को करीब से देखने के लिए भावुक थे। और वह उनके चित्र कैमरा के साथ मोबाइल में भी खिंचतें रहे ,विदेशी पर्यटकों ने कहा कि भारतीय संस्कृति का यह त्योहार उनके लिए अविस्मरणीय है।

तीर्थ नगरी में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने उमड़ा सैलाब छठी माता के गीतों से गूंजा त्रिवेणी घाट बैंड बाजों के साथ भगवान भाष्कर की उपासना के लिए पहुंचे श्रद्वालु



ऋषिकेश,30अक्टूबर‌। छठ महोत्सव की धूम अब यू पी -बिहार तक ही सीमित नही रही है।पूरे देश के साथ उत्तराखंड में भी लोकपर्व छठ चमक बिखेरने लगा है।बात अगर तीर्थ नगरी की करें, तो यहां लोक आस्था की ब्यार बहती नजर आ रही है।

लोकपर्व छठ के पावन अवसर पर रविवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तीर्थनगरी के गंगाघाटों,तटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। पर्व पर छठी माता के भक्तों ने भगवान भास्कर की विधि विधान से आराधना की।

आस्था के इस पावन पर्व पर पूर्वांचल मूल के हजारों लोग बाजेगाजों के साथ त्रिवेणीघाट समेत विभिन्न इलाकों से गंगातटों पर पहुंचे। देरशाम त्रिवेणीघाट पर भजन संध्या और बिरहा मुकाबला भी आयोजित किया गया।

तीर्थनगरी और आसपास के इलाकों में सूर्य भगवान की आराधना का लोकपर्व छठ हर्षोल्लास से मनाया गया। इस मौके त्रिवेणीघाट को दुल्हन की तरह सजाकर पूजा-आराधना के लिए खासे इंतजाम किए गए थे। अपराह्न के बाद से श्रद्धालुओं के गंगातटों पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। जो कि सूर्यास्त से कुछ देर पहले तक अनवरत जारी रहा। इस दौरान श्रद्धालु अलग-अलग इलाकों से टोलियां बनाकर टोकरियों में पूजा सामग्री लेकर गंगातटों पर पहुंचे। श्रद्धालुओं ने शाम सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और पारिवारिक सुख-शांति, समृद्धि की कामना की। उधर, त्योहार के दृष्टिगत श्रद्धालु महिलाओं का निर्जल व्रत रविवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। महिलाएं सोमवार को प्रात: सूर्योदय पर अर्घ्य के बाद व्रत खोलेंगी।

लोकपर्वों को मानने और मनाने वालों का पर्व-त्योहारों के प्रति उमंग उल्लास ही कुछ और होता है। रविवार को लोकपर्व छठ के मौके पर गंगातटों पर उमड़े लोगों में इस उल्लास को करीब से देखा जा सकता था। इस दौरान जवान और बूढ़े, बच्चों में भी त्योहार के प्रति खासा उत्साह देखने को मिला। पर्व के अवसर पर व्रती महिलाओं के साथ परिवार के अन्य लोग भी भगवान सूर्यदेव की पूजा-आराधना के लिए गंगा तटों पर उमड़े।

त्रिवेणीघाट पर छठ पूजा के दौरान उमड़ी भीड़ को देखने के लिए विदेशी पर्यटकों में भी काफी उत्साह दिखा। सोलह श्रृंगारों में सजी सुहागिन महिलाएं विदेशी पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र रही। घाट पर उमड़ी भीड़ को देख विदेशी पर्यटक इस त्योहार को करीब से देखने के लिए भावुक थे। विदेशी पर्यटकों ने कहा कि भारतीय संस्कृति का यह त्योहार उनके लिए अविस्मरणीय है।

ऋषिकेश में भी धूमधाम से मनाया जाएगा उत्तराखंडी संस्कृति का लोकपर्व ईगास : अनिता ममगाई लोकपर्व ईगास पर अवकाश घोषित करने पर महापौर ने मुख्यमंत्री का जताया आभार



ऋषिकेश 29 अक्टूबर। – महापौर अनिता ममगाई ने लोकपर्व पर अवकाश घोषित करने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया है।

उन्होंने बताया राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी द्वारा ईगास बग्वाल पर्व को लेकर शुरू की गई मुहिम को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने आगे बड़ाने का काम किया है।ईगास बग्वाल उत्तराखण्ड वासियों के लिए एक विशेष महत्व रखता है, इसकी धूम अब पूरे प्रदेश में दिखाई देगी। महापौर ने बताया कि तीर्थ नगरी में भी उत्तराखंडी संस्कृति के इस महापर्व की चमक दिखाई देनी शुरु हो गई है। पर्व को लेकर पहाड़ की संस्कृति से जुड़े लोगों में अपार उत्साह है।

आशुतोष नगर में आगामी 4 नंवबर को ईगास पर्व ऋषिलोक वैलफेयर सोसायटी द्वारा धूमधाम से मनाया जा रहा है। जिससे भैला खेला जायेगा । साथ ही लोक संस्कृति के वाध्ययंत्रों के साथ उत्तराखण्डी व्यंजन भी कार्यक्रम का प्रमुख आर्कषण होंगे। ईगास को लेकर सोसायटी की बैठक में भी महापौर ने शिरकत की और पर्व की तमाम तैयारियों का जायजा लिया।

महापौर ने बताया कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का तीर्थ नगरी पैतृक स्थान है । उनसे कार्यक्रम में सहभागिता के लिए आग्रह किया जायेगा। बैठक में  राजकुमारी जुगलान, अशर्फी राणावत ,फेरु जगवानी, दिनेश बिश्नोई, सतपाल चोपड़ा, नवीन अरोड़ा, गंगा जोशी, पुष्पा भट्ट, लता अरोड़ा, सुनीता,नमिता जगवानी,  कविता, राजेश्वरी लेखवार, सत्यनारायण लेखपार, मोहनलाल रतूड़ी, रोसा देवी सहित सोसायटी से जुड़े तमाम सदस्य मोजूद रहे।

ऋषिकेश: छठ पर्व के दूसरे दिन महिलाओं ने गंगा स्नान कर प्रसाद के रूप में गुड़ से बनी खीर का सेवन किया सार्वजनिक छठ पूजन समिति ने त्रिवेणी घाट पर भगवान सूर्य एवं छठ माता की करी मूर्ति स्थापित



ऋषिकेश, 29अक्टूबर । छठ पर्व के दूसरे दिन लोक आस्था के प्रतीक छठी पर्व के चलते व्रती महिलाओं ने पूजा अर्चना के साथ गंगा स्नान कर जहां गुड़ की बनी खीर का प्रसाद खरना के चलते ग्रहण किया, वही सार्वजनिक छठ पूजन समिति ने त्रिवेणी घाट पर पूजा अर्चना के साथ भगवान सूर्य एवं छठ माता की मूर्ति स्थापना की।

शनिवार को इस दौरान समिति के अध्यक्ष रामकृपाल गौतम, कार्यक्रम अध्यक्ष शंभू पासवान, कार्यक्रम संयोजक प्रदीप दुबे ,,महासचिव परमेश्वर राजभर ,कोषाध्यक्ष वीर बहादुर राजभर, संरक्षक लल्लन राजभर सहित काफी संख्या में समिति से जुड़े लोग उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।

कहा जाता है यह पर्व मैथिल,मगध और भोजपुरी लोगो का सबसे बड़ा पर्व उनकी संस्कृति से जुड़ा है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। यह बिहार सहित पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और यह बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। यह पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।

ऋषिकेश‌ के त्रिवेणी घाट पर सार्वजनिक सार्वजनिक छठ पूजन समिति ने शुक्रवार को छठ पूजा की शुरुआत सूर्य नारायण‌ का ध्वजारोहण कर की, सर्वप्रथम पहले दिन नहाय खाय किया जाता है जिसमे लौकी की सब्जी चना का दाल चावल बनाया गया। आज‌ दूसरे दिन खरना किया जाता है, जिसमे दिनभर का निर्जल उपवास किया गया,और शाम को गुुड की खीर रोटी का भोग लगाया जायेगा।भोग लगाने के उपरांत उस खीर और रोटी का प्रसाद खाया जाता है जिसके बाद फिर से निर्जला उपवास प्रारंभ हो जाता है और तीसरे दिन घर में चक्की में अपने हाथों से पीसे गए गेहूं, चावल के आटे से ठेकुआ और लड्डू को देसी घी में चूल्हे पर ही बनाया जाता है जिसमे सारे बर्तन पीतल के इस्तेमाल किये जाते है अगर जिससे पीतल के बर्तन नही हो पाता वो मिट्टी के बर्तन का प्रयोग करते हैं।

और प्रसाद बनाया जाता है उसको तैयार करने के बाद डलिया सजाया जाता है जो जैसे मन्नत करते हैं भगवान से उनके उतने डलिया होता है जैसे किसी के दो होते हैं तीन होते हैं डलिया इसी प्रकार से उसके उपरांत पूरा परिवार गंगा जी पर डूबते हुए सूरज को अरग दिया जाता है जब महिलाएं घाट पर जाती है तो उनके हाथों में कलश होता है और उनपर दिया रखा जाता है जिसको भुजने नही दिया जाता है सब घाट पर पहुंच कर ढलते सूरज को अरग दिया जाता है उसके बाद चौथे दिन उगते हुए सूरज को अरग दिया जाता है और छठ पूजा की समाप्ति होती है ।

4 दिन तक चलने वाले लोक आस्था के प्रतीक छठ महापर्व की तैयारियां हुई पूरी शुक्रवार से नहाए खाए के साथ प्रारंभ होगा महापर्व का शुभारंभ गंगा किनारे श्रद्धालुओं ने पूजा स्थल के लिए प्रारंभ की घेराबंदी



ऋषिकेश, 27 अक्टूबर । शुक्रवार से प्रारंभ होने वाले चार दिन तक लोक आस्था के प्रतीक छठी वरती सूर्य उपासना छठ महापर्व का शुभारंभ नहाए खाए के साथ प्रारंभ होगा ।जिसकी ऋषिकेश में सार्वजनिक छठ पूजन समिति द्वारा त्रिवेणी घाट पर तैयारियां प्रारंभ कर दी गई है ।

यह जानकारी समिति के अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक शंभू पासवान ने संयुक्त रूप से देते हुए बताया कि चार दिवसीय छठ महापर्व का शुभारंभ 28 अक्टूबर शुक्रवार से त्रिवेणी घाट पर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के अवसर पर शुरू किया जाता है। जिसके चलते शुक्रवार को नहाए खाए और शनिवार को खरना से होगा। रविवार को अस्तांचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य शाम 5:31 पर दिया जाएगा, इसके बाद सोमवार को उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रातः 6:30 बजे दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि छठ महोत्सव के दौरान त्रिवेणी घाट पर समिति द्वारा 28 अक्टूबर को प्रातः भगवान सूर्यनारायण का धर्म ध्वजा लगाई जाएगी, 29 अक्टूबर को छठ माता और सूर्य भगवान की मूर्ति की स्थापना और गौरी गणेश की पूजा की जाएगी, 30 अक्टूबर को अस्तांचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही शाम 5:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक नटराज ग्रुप द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। रात्रि 9:00 बजे बिरहा मुकाबला भोजपुरी गायक मनोज यादव और अनीता राय के बीच होगा।

इसे लेकर श्रद्धालुओं द्वारा आज से ही गंगा तट पर सूर्य भगवान को अर्ध्य देने के लिए लोगों ने पत्थर और मिट्टी के चबुतरे बनाने शुरू कर दिए हैं। क्योंकि गंगा किनारे भगवान सूर्य को चलने वाले प्रसाद और पूजा सामग्री इन्हीं चबुतरो पर रखकर पूजा की जाती है। वही छठ पर्व को देखते हुए बिहार पूर्वांचल क्षेत्र के लोगों में अच्छा खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। जिसके लिए बाजार भी सजने प्रारंभ हो गए हैं। और श्रद्धालुओं ने खरीदारी प्रारंभ कर दी है।

ऋषिकेश: भैया दूज के पर्व पर बहन ने भाई के माथे पर तिलक कर दीर्घायु कि की कामना बहनों को भाइयों तक पहुंचने के लिए बसों में रही मारा मारी



ऋषिकेश, 27 अक्टूबर ।भाई-बहन के बीच अटूट प्यार के संबंधों के चलते भैया दूज का पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान बहन ने अपने भाई के माथे पर तिलक कर उसकी कलाई पर कलावा बांधा और उसकी पूजा कर, मीठा मुंह करते हुए नारियल भेंट कर दीर्घायु होने की कामना की, जिसके बदले में भाई ने अपनी बहन को सामर्थ्य अनुसार भेंट स्वरूप उपहार भी दिए, वही इस दौरान बस अड्डे पर अपने भाई तक पहुंचने के लिए बहनों की बस पकड़ने के लिए लंबी कतारें भी लग रही।

गुरुवार की सुबह से ही प्रारंभ हुए भाई दूज पर्व के चलते बहनोंंं ने भाई के मााथे पर तिलक किया, मान्यता है कि सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की दो संतान थी यमराज और जमुना दोनों में बहुत प्रेम था, बहन यमुना चाहती थी कि यमराज उसके घर भोजन करने आए लेकिन भाई यमराज अक्सर उनकी बात को टाल देते थेे, एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दोपहर में यमराज यमुना के घर पहुंचे ।

यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुई ,जिसके बाद यमुना ने भाई यमराज को प्रेम पूर्वक भोजन करवायाा। बहन केेे आतिथ्य ‌‌‌‌को देखकर यम देव ने उसे वरदान मांगने को कहा जिस पर यमुना ने भाई यमराज से बहन ने वचन मांगा कि वह हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की तीथि पर वह भोजन करने आए, उस दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया और कहा अब से यही होगा, तबसे भैया दूज की परंपरा चली आ रही है। जिसे बहन श्रद्धापूर्वक भाई की पूजा कर उसकी जगह होने की कामना करती है।

वही दूसरी ओर आज भैया दूज के चलते अपने भाई तक पहुंचने के लिए आईएसबीटी पर बसों की सीट के लिए मारामारी होती देखी गई। हालांकि रोडवेज प्रशासन ने दिल्ली और देहरादून मार्ग पर जो बसे अतिरिक्त लगाई थी। उसके बावजूद भी बसों में काफी भीड़ रही । रोडवेज डिपो के केंद्र प्रभारी ललित भाटी ने बताया कि भीड़ को देखते हुए बसों की व्यवस्था कीी गई हैं लेकिन दिवाली मनाने के बाद काम पर लौटने वाले लोगों की भी भीड़ बढ़ी है। पर्वतीय क्षेत्रों से आने वाली बसें फुल होकर आ रही है ।जिसके चलते अभी दो-तीन दिन बसों में यात्रियों की भारी भीड़ रहेगी।

श्री केदारनाथ धाम शीतकाल के लिए कपाट बंद हुए। • सेना की मराठा रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच तीन हज़ार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने। • इस यात्रा वर्ष रिकॉर्ड 15,61,882  तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये। *प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में भव्य केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण, गौरीकुंड- केदारनाथ रोप वे के बनने से केदारनाथ यात्रा अधिक सुगम हो जायेगी : सीएम पुष्कर सिंह धामी



 

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों का आभार जताया।

• प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा प्रदेश सरकार के प्रयासों से केदारनाथ यात्रा में रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे।

• कपाट बंद होने के अवसर पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार सहित जिला प्रशासन, पुलिस सेना के अधिकारी मौजूद रहे।

• श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह सहित अधिकारी कर्मचारी मौजूद रहे।

ऋषिकेश/केदारनाथ धाम: 27 अक्टूबर। आज भैया दूज के पावन अवसर पर बृहस्पतिवार प्रात: 8 बजकर 30 मिनट पर ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये है। इस अवसर पर ढाई हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट बंद होने के साक्षी बने।
आज प्रात: तीन बजे केदारनाथ मंदिर खुल गया चार बजे से कपाट बंद करने की समाधि पूजन प्रक्रिया शुरू हो गयी। पुजारी टी गंगाधर लिंग ने भगवान केदारनाथ के स्यंभू ज्योर्तिलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि रूप दिया गया ज्योर्तिलिंग को बाघंबर, भृंगराज फूल,भस्म, स्थानीय शुष्क फूलों- पत्तों, आदि से ढ़क दिया गया।इसके साथ ही भकुंट भैरव नाथ के आव्हान के साथ ही गर्भगृह तथा मुख्य द्वार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में बंद किया गया। इसके साथ ही पूरब द्वार को भी सीलबंद किया गया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्री केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों का आभार जताया। कहा कि इस बार चारधाम यात्रा रिकार्ड पैंतालीस लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे है। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में नयी केदार पुरी अस्तित्व में आ चुकी है जहां तीर्थयात्रियों को हर संभव सुविधाएं मुहैया हो रही है। गौरीकुंड- केदारनाथ रोप वे के बनने से केदारनाथ यात्रा अधिक सुगम हो जायेगी।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हो रही है।तथा केदारनाथ धाम में भी रिकार्ड श्रद्धालु पहुंचे।

इस अवसर पर श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, पंकज मोदी, मंदिर समिति उपाध्यक्ष किशोर पंवार, जिला प्रशासन पुलिस के अधिकारी, केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त सचिव/ मंदिर समिति मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, यात्रा मजिस्ट्रेट गोपाल राम बिनवाल, तहसीलदार दीवान सिंह राणा कार्याधिकारी आरसी तिवारी, धर्माधिकारी औंकार शुक्ला, केदारनाथ सभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला, मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़, आदि मौजूद रहे।

इस अवसर पर सेना की 11 मराठा लाईट इ़फ्रंट्री रूद्रप्रयाग के बैंड की भक्तिमय धुनों तथा बाबा केदार की जय उदघोष से केदारनाथ धाम गुंजायमान रहा। मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि सामूहिक सहयोग समन्वय से यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हुआ है। उन्होंने पर्यटन विभाग, धर्मस्व विभाग, प्रदेश सूचना विभाग, मीडिया जगत के सभी समाचार पत्रों के सम्मानित प्रतिनिधियों, न्यूज चैनलों,चिकित्सा विभाग,सेना आईटीबीपी,सभी जिला प्रशासन, जिला पुलिस प्रशासन,आपदा प्रबंधन एसडीआरएफ, सीमा सड़क संगठन, पीडब्ल्यूडी, परिवहन, विद्युत,संचार, पेयजल, खाद्य आपूर्ति, जिला पंचायत, स्थानीय निकायों, श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति, श्री गंगोत्री मंदिर समिति, श्री यमुनोत्री मंदिर समिति, श्री हेमकुंट साहिब गुरुद्वारा ट्रस्ट, तीर्थ पुरोहित समाज,निजी वाहन कंपनियों, सुलभ इंटरनेशनल सहित यात्रा व्यवस्था से जुड़े सभी एजेंसियों तथा यात्रा प्रशासन संगठन का आभार व्यक्त किया। कहा कि
1561882 (पंद्रह लाख एकसठ हजार आठ सौ बयासी) तीर्थयात्रियों ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किये है।

कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान हुई। आज पंचमुखी डोली प्रथम पड़ाल राम पुर पहुंचेगी। कल 28 अक्टूबर शुक्रवार को देवडोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास करेगी तथा 29 अक्टूबर शनिवारको श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी।
इसी के साथ इस वर्ष श्री केदारनाथ यात्रा का समापन हो जायेगा तथा पंचकेदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में भगवान केदारनाथ जी की शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेगी।
इस यात्रा वर्ष चार धाम यात्रा में तैतालीस लाख से अधिक तीर्थ यात्री दर्शन को पहुंचे। हेमकुंट साहिब को मिला कर यह संख्या पौने छयालीस लाख पहुंच गयी।
26 अक्टूबर गौवर्धन पूजा के अवसर पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये है। आज दोपहर में श्री यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 19 नवंबर को श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।जबकि श्री हेमकुंट साहिब- लक्ष्मण मंदिर के कपाट 10 अक्टूबर को बंद हो गये।
द्वितीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 7 नवंबर तथा द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट 18 नवंबर को बंद हो जायेंगे। इसी के साथ ही इस वर्ष की चार धाम यात्रा का सफल समापन हो जायेगा। अभी तक सवा तैतालीस लाख तीर्थयात्री चारधाम पहुंच गये है। हेमकुंट साहिब को मिलाकर तीर्थयात्रियों की संख्या पौने छयालीस लाख पहुंच गयी।

ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी मधावाश्रम महाराज का पांचवा निर्वाण दिवस श्रद्धा पूर्वक मनाया गया



ऋषिकेश, 26 अक्टूबर ।जनार्दन आश्रम शंकराचार्य समाधि स्थल मायाकुंड में प्रातकाल में शंकराचार्य मधावाश्रम महाराज की समाधि में विधि विधान से पूजन किया गया।

बुधवार को शंकराचार्य भगवान की पादुका का पूजन आचार्य मुकुंद शास्त्री,आचार्य मणिराम पैन्यूली, आचार्य डॉ जनार्दन कैरवान के द्वारा संपादित किया गया । ब्रह्मलीन शंकराचार्य मधावाश्रम के शिष्य केश्वस्वरूप ब्रह्मचारी ने इस अवसर पर उपस्थिति को संबोधित करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव ने आजीवन सनातन धर्म की रक्षा के लिए कार्य किया है,उनका ध्येय यही था कि गौ,गंगा गायत्री की उपासना होती रहे। हम भी उनके बताए गए सद्मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं।
इस अवसर पर हरियाणा, हिमाचल,पंजाब,दिल्ली, उत्तराखंड से आए भक्तों ने गुरु समाधि कर उनको श्रद्धांजलि दी।
दंडी स्वामी विज्ञानानंद तीर्थ महाराज,आशीष ब्रह्मचारी,श्रीमहंत अभय चैतन्य, संजय शास्त्री, एलपी पुरोहित ,शैलेंद्र मिश्र,हर्षमनी पैन्यूली गङ्गाराम व्यास, महेश चमोली,जितेंद्र प्रसाद भट्ट,पुरुषोत्तम रणकोटी, महेश चमोली,आशाराम व्यास आदि उपस्थित थे।

विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट हुए शीतकाल के लिए बंद



उत्तरकाशी 26, अक्टूबर । विश्व प्रसिद्ध चारधाम गंगोत्री तीर्थधाम के कपाट अन्नकूट पर्व पर दोपहर 12.01 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा अर्चना के बाद विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिये गए हैं। बुधवार को पतिपावनी मां गंगा की डोली गंगोत्री से अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा के लिए रवाना हुई। आज गंगा जी की उत्सव डोली चंडी देवी मंदिर में रात्रि प्रवास करेगी। गुरुवार 27 ,अक्टूबर को मां गंगा की मूर्ति मुखबा मंदिर में शीतकालीन के लिए विराजमान होगी।

बुधवार को सुबह से ही गंगोत्री धाम में गंगा की विदाई की तैयारियां शुरू हो गई थी। इस मौके पर गंगोत्री धाम को रंग बिरंगे फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया था. कपाट बंद करने से पहले गंगा जी का अभिषेक करने के साथ ही गंगालहरी, गंगा सहस्त्रनाम पाठ किया गया। इस दौरान गंगोत्री मंदिर में श्रद्धालुओं ने अखंड ज्योति के दर्शन किए. वहीं, तय मुहूर्त पर 12 बजकर 1 मिनट पर गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद इसके बाद गंगा जी की भोग मूर्ति को डोली यात्रा के साथ मुखबा के लिए रवाना किया गया।

माँ श्रद्धालु मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा स्थित गंगा मंदिर में मां गंगा के दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकेंगें। मां गंगा की भोग मूर्ति 6 माह सोमेश्वर देवता के साथ मुखबा में रहेगी। इस दौरान मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल, सचिव सुरेश सेमवाल, राजेश सेमवाल, अशोक सेमवाल, रावल रवींद्र सेमवाल, पूर्व विधायक विजय पाल सजवाण आदि मौजूद रहे हैं।

6.25 लाख श्रद्धालुओं ने किया गंगोत्री धाम के दर्शन ।।

कोरोना काल के बाद इस वर्ष लगभग 6.25 लाख श्रद्धालुओं ने माँ गंगा के दर्शन किया है। पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने बताया कि इस बार चारधाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की सुरक्षा तैनात उत्तरकाशी पुलिस, फायर एवं एसडीआरएफ ने चाहे बर्फबारी-कड़कती ठंड हो, बरसात हो या फिर किसी भी प्रकार की विपरीत परिस्थिति हो, चौबीसों घंटे अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद रहे हैं। जिससे चारधाम यात्रा श्रद्धालुओं की यात्रा को सरल एवं सुगम बनाया गया।
यात्रा के दौरान कई श्रद्धालुओं के रास्ता भटकने पर,लैंड स्लाइड के कारण मार्ग अवरुद्ध होने पर,अत्यधिक वर्षात या फिर किसी भी प्रकार से मुसीबत में होने पर जनपद पुलिस एवं एसडीआरएफ द्वारा तत्काल मदद व रेस्क्यू कार्य किया गया। यात्रा के दौरान कई वाक्यों पर श्रद्धालुओं के खोये पर्स, बैग व अन्य समान को भी पुलिस जवानों द्वारा ईमानदारी का परिचय देते हुये वापस लौटाया गया। कई सारे श्रद्धालुओं द्वारा जनपद पुलिस व एसडीआरएफ की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा व आभार प्रकट किया गया।
उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी पुलिस आप सभी की कुशल एवं सुरक्षित यात्रा हेतु प्रतिबद्ध है, अगले वर्ष गंगोत्री धाम यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं का हार्दिक स्वागत करती है।

सूर्य ग्रहण मैं तीर्थ नगरी के तमाम मंदिरों में लगे ताले तीर्थ पुरोहित समिति ने विश्व शांति के लिए त्रिवेणी घाट पर किया महायज्ञ गर्भवती स्त्री,नवजात शिशु,त्वचा,नेत्र,रक्त रोग से पीड़ित ग्रहण काल मे बाहर न निकले‌ : गोपाल गिरी ग्रहण काल में दान पुण्य जाप तप स्नान का विशेष महत्व:  विनय सारस्वत



ऋषिकेश, 25 अक्टूबर ।दीपावली के बाद मंगलवार को कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या का ग्रहण सूतक लग जाने के‌ उपरांत तीर्थ नगरी के तमाम मंदिरों को पूजा अर्चना के लिए बंद कर दिया गया है।

त्रिवेणी घाट ऋषिकेश पर ऋषिकेश तीर्थ पुरोहित समिति द्वारा विश्व के कल्याण और शांति हेतु महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें ऋषिकेश के तीर्थ पुरोहित ब्राह्मणों द्वारा विश्व में शांति और कल्याण की कामना करते हुए महा यज्ञ कर  पूर्णाहुति डाल कर जप और तप किया गया। इस अवसर पर तीर्थ पुरोहित समिति के अध्यक्ष विनय सारस्वत ने कहा कि ग्रहण काल के दौरान जप तप स्नान ओर दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। सभी प्रकार के कष्टो से निवति एवं कामनापूर्ति हेतु अपने इष्ट देव के मूल मंत्र का ग्रहण काल मे जाप करने से अनंत कोटि पुण्य की प्राप्ति होती है।

ग्रहण के बारे में जानकारी देते हुए महंत गोपाल गिरी ने बताया कि कार्तिक अमावस्या चतुर्दशी मंगलवार प्रातः 04.42 से प्रारंभ हो गई है जिसके कारण ग्रहण प्रारम्भ काल शाम – 04.42 से
ग्रहण का मध्यकाल‌ शाम – 05.36 से
ग्रहण मोक्षकाल शाम – 06.30 तक
खगोलीय विवेचना के अनुसार यह सूर्य ग्रहण ग्रस्तास्त है अर्थात इस ग्रहण का मोक्ष सूर्य अस्त ( 05.50 ) होने के उपरांत होगा अतः इस ग्रहण का शुध्दिकरण दी. 26 को सूर्य उदय के उपरांत होगा।

भारत के उत्तर-पूर्वीय भाग में यह ग्रहण प्रभावी नही हुआ..
ज्योतिषीय विवेचना.वृषभ,सिंह धनु एवं मकर राशि के जातकों के लिए शुभ मेष,मिथुन,कन्या एवं कुम्भ राशि के जातकों के लिए मध्यम कर्क,तुला,वृश्चिक एवं मीन राशि के जातकों हेतु अशुभ फल रहेगा।

ग्रहण काल के दान एवं अन्य उपाय‌‌ बतााए गए हैं

सर्वव भूमिसमं दानं सर्वे ब्रह्मसमा द्विजाःसर्व गंगासमं तोयं ग्रहणे चंद्रसूर्ययोः॥इन्दोर्लक्षगुणं पुण्यं रवेर्दशगुणं ततः।

जिसका अर्थ है कि स्नान,दान एवं श्राध्द आदिका चंद्रग्रहणमें लाख गुना पुण्य होता है और‌सूर्यग्रहण में 10 लाख गुना,और तीर्थ के समीप तो करोड़ों गुना फल हो जाता है। 
ग्रहण से उत्पन्न कष्टो की निवृत्ति हेतु कांसे के पात्र में घी,स्वर्ण अथवा चांदी की सूर्य देव की प्रतिमा,चावल,मसूर की दाल,ऊनि कंबल, कच्ची खिचड़ी,नमक एवं गुड़ का दक्षिणा सहित ग्रहण मोक्ष के उपरांत दान करे।

गोपाल गिरी का कहना था कि इस दौरान विशेष सावधानियां भी रखनी चाहिए जैसे गर्भवती स्त्री,नवजात शिशु,त्वचा,नेत्र,रक्त रोग से पीड़ित ग्रहण काल मे कदापि बाहर न निकले ही भोजन का त्याग करे फल,दूध,चाय,दही का सेवन कर सकते है,खाने पीने की सूखी वस्तु एवं कच्चे भोजन में कुशा रखे बालक,गर्भवती स्त्री,रोगी,वृध्द के अतिरिक्त सभी सूतक प्रारम्भ होते सूतक प्रारम्भ होते ही किसी भी प्रकार की मूर्ति,विग्रह इत्यादि का स्पर्श न करे बृह्मचारी रहे ग्रहण के स्पर्श ओर मोक्ष काल मे स्नान करे नग्न आँखो से ग्रहण न देखे। जिसे देखते हुए तीर्थ नगरी के तमाम मंदिरों में ताले लगा दिए गए हैं।