8 मई 2022 को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट, गाडू घड़ा तेलकलश यात्रा की तिथि 22 अप्रैल शुक्रवार को गई निर्धारित



ऋषिकेश: 5 फरवरी विश्व प्रसिद्ध उत्तराखंड के तीर्थ बद्रीनाथ धाम के कपाट इस वर्ष रविवार 08 मई2022 को प्रात: 6 बजकर 15 मिनट में खुलेंगे। जबकि गाडू घड़ा तेलकलश यात्रा की तिथि 22 अप्रैल शुक्रवार को निर्धारित की गई है।

आज नरेंद्र नगर (टिहरी) स्थित राजमहल में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर सादे धार्मिक समारोह में पूजा अर्चना तथा पंचाग गणना पश्चात राज परिवार, श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति ,श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत की उपस्थिति में धर्माचार्यों द्वारा पंचाग गणना के पश्चात श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की गयी ।कार्यक्रम में कोविड प्रोटोकॉल मानकों का पालन किया गया। उल्लेखनीय है कि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि घोषित होते ही उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2022 की तैयारियां शुरू हो जायेगी।

बताते चलें सर्दियों के चलते बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और प्रत्‍येक वर्ष वसंत पंचमी के दिन राजपुराहितों द्वारा मंदिर के कपाट खोलने का मुहूर्त निकाला जाता है। इसके बाद उसी तय तिथ‍ि और समय पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं। इसके बाद अक्‍टूबर-नवंबर तक भगवान श्री विष्‍णु के इस अलौकिक धाम की यात्रा चलती रहती है।

इस अवसर पर महाराजा मनुजयेंद्र शाह,राजकुमारी शीरजा शाह, पं कृष्ण प्रसाद उनियाल रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष श्री अजेंद्र अजय,किशोर पंवार उपाध्यक्ष मंदिर समिति,बी. डी. सिंह मुख्य कार्याधिकारी,सदस्य श्री निवास पोस्ती, आशुतोष डिमरी, राजपाल जड़धारी,भाष्कर डिमरी, वीरेंद्र असवाल,भुवन चंद्र उनियाल ,धर्माधिकारी
राकेश सेमवाल, विशेष कार्याधिकारी,प्रमोद नौटियाल निजी सचिव,आर. सी. तिवारी,डा. हरीश गौड़ मीडिया प्रभारी,आशाराम नौटियाल,नितेश शाह और डिमरी पंचायत से विनोद डिमरी कार्यकारी अध्यक्ष, ज्योतिष डिमरी, कोषाध्यक्ष सुभाष डिमरी, विपुल डिमरी अरूण डिमरी मुकुंदानंद महाराज आदि उपस्थित थे।

बसंत पंचमी पर्व पर उत्तराखंड से आई देवी देवताओं की डोलियों ने सांकेतिक रूप से किया गंगा स्नान -देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु, के साथ स्थानीय नागरिको ने गंगा में लगाई श्रद्धा की डुबकी -षडदर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति ने गणेश के साथ भाला निशान को भी कराया स्नान



ऋषिकेश, 05 फरवरी । कोविड-19 की गाइड लाइन के चलते बसंत पंचमी के पर्व पर गंगा स्नान करने वालों को दी गई छूट के बाद ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर लोगों ने जहां उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों से आए निशान और देवताओं की डोलियों को सांकेतिक रूप से स्नान कराया गया।

शनिवार को बसंत पंचमी के पर्व पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालु शुक्रवार की शाम से ही ऋषिकेश पहुंचने प्रारंभ हो गए थे , वहीं प्रशासन ने उत्तराखंड से आने वाले तमाम देवताओं की डोलियों के अलावा भाला निशान को धार्मिक दृष्टि से सांकेतिक रूप से सीमित दायरे में रहकर सांकेतिक रूप से पूजा अर्चना के करने के साथ स्नान कराए जाने की छूट दी गई थी। जिसके चलते ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर षड्दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के संतों ने प्रातः 10.30 बजे श्री सिद्ध गणेश भगवान के पास पहुंचे, जहां उत्तराखण्ड़ से श्री नर सिहं भगवान और दोनो देवता के साथ भाला निशान को विधि विधान से पूजा अर्चना कर गंगा स्नान कराया ।

इस दौरान सभी संतो ने सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए गंगा स्नान भी किया । इस अवसर पर षड दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल गिरी ने बताया कि बसंत पंचमी के पर्व पर ऋषिकेश बसन्त पंचमी को गंगा स्नान की परम्परा आज से 1217 वर्ष पूर्व सन् 805 ई० भगवान श्री आदि गुरू शंकराचार्य जी ने तीन अखाड़ो की सेना के साथ प्रारम्भ किया था।

बसंत पंचमी के पर्व को शांतिपूर्वक संपन्न कराए जाने के लिए स्थानीय कोतवाली प्रभारी रवि कुमार सैनी स्वयं सुबह से ही पुलिस बल के साथ त्रिवेणी घाट पर उपस्थित रहे जिनके नेतृत्व में ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर जाने वाले सभी मार्गो पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी जिससे बसंत पंचमी के पर्व पर त्रिवेणी घाट पर श्रद्धालुओं को स्नान करने के उपरांत दान पुण्य करने वालों लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।

 

 

इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष महन्त गोपाल गिरी , ,महन्त भोला गिरी , स्वामी प्रेमानंद गिरी, स्वामी नागेंद्र पुरी, नागा बाबा हरी गिरी, स्वामी मोहन गिरी ,रामचंद्र गिरी ,मनोहर ,भारती, राजेंद्र गिरी, राकेश गिरी, पूर्णागिरि, थानापति रवि गिरी सहित काफी संख्या में संत उपस्थित थे।

कोहरे व कड़ाके की ठंड के बीच सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट से लक्ष्मण झूला के घाटों पर गंगा में लगाई श्रद्धा की डुबकी



ऋषिकेश ,31 जनवरी  ।सोमवती अमावस्या पर ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट से लेकर लक्ष्मण झूला के घाटों पर देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं ने कड़ाके की ठंड व कोहरे के बीच गंगा में लगाई श्रद्धा की डुबकी, वही गंगा किनारे अनुष्ठान आदि कर गरीबों में दान दक्षिणा का वितरण भी किया ।

सोमवती अमावस्या के अवसर पर सोमवार को तड़के से ही देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगानी प्रारंभ कर दी थी, यह सिलसिला लगातार जारी रहा ।ऋषिकेश में रविवार की देर शाम को ही गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया था ।

जिसके कारण यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी ।जिसके चलते वाहनों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए घंटों तक कतारों में लगे रहना पड़ा। इसे नियंत्रित करने के लिए कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रवि कुमार सैनी को सड़क पर ट्रैफिक पुलिस के साथ स्वयं उतरना पड़ा, इस बार गंगा स्नान करने आए श्रद्धालुओं को प्रशासन की ओर से दी गई छूट के कारण कोरोना गाइडलाइन के बावजूद किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई।

कड़ाके की ठंड से बचाए जाने के लिए गंगा स्नान करने वाले लोगों की सुविधार्थ नगर निगम प्रशासन के अलावा गंगा सेवा समिति के साथ सामाजिक संगठनों द्वारा जहां अलाव चलाए गए थे ।वही जगह-जगह चाय का वितरण भी किया जा रहा था। इस दौरान पहाड़ों के विभिन्न मंदिरों से देवी-देवताओं की डोलियों को भी ढोल दमाऊ की थाप पर श्रद्धापूर्वक स्नान कराया गया ।

कैलाश आश्रम विद्यापीठ के द्वादश महामंडलेश्वर की चादर उढ़ा कर  स्वामी विजयानन्द पुरी को संतो ने किया नियुक्त



ऋषिकेश, 24 जनवरी  । मुनी की रेती स्थित आध्य गुरु शंकराचार्य द्वारा अपनी हिमालय यात्रा के दौरान स्थापित कैलाश आश्रम में आयोजित पट्टाभिषेक कार्यक्रम के दौरान आश्रम के द्वादश महामंडलेश्वर स्वामी विजया नन्द पुरी को कैलाश पीठाधीश्वर के रूप में संतो ने संत परंपरागत ढंग से चादर उढा कर आश्रम का महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया।

स्वामी विजयानंद पुरी को कैलाश आश्रम के द्वादश महामंडलेश्वर के रूप में हरिद्वार के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने अभिषेक कर कैलाश पीठ की गद्दी सौंपी ।इस दौरान स्वामी विजयानन्द पुरी के चादर समारोह में आश्रम के 11वें आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी दिव्या नंद सरस्वती ने स्वामी विजयानन्द पुरी को अपने उत्तराधिकारी के रूप में घोषित करते हुए उनसे अपेक्षा व्यक्त की, कि यह कैलाश आश्रम की सभी गतिविधियों को संत परंपरागत तरीके से निर्वहन करते हुए आगे बढ़ाएंगे ,साथ ही कैलाश आश्रम विद्यापीठ में चल रहे वेद वेदांत धर्म प्रचार के कार्यों को गति देंगे । जिससे यहां अध्ययन करने वाले सभी अभ्यार्थी देश दुनिया में सनातन संस्कृति का प्रचार प्रसार कर सकें।

उल्लेखनीय है कि कैलाश विद्यापीठ में स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक मुरारी बापू के पिता श्री यहां रहकर अध्ययन कर चुके हैं। कैलाश पीठ के नवनियुक्त 12वें कैलाश पीठाधीश्वर स्वामी विजयानंदपुरी के चादर अभिषेक के दौरान निरंजनी अखाड़ा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के स्वामी रविंद्रपुरी , अखाड़े के सचिव राम रतन गिरी, मंहत केशव पुरी कैलाश आश्रम के मंत्री स्वामी भूमानंद सरस्वती सहित आश्रम के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे। कैलाश आश्रम की अन्य संस्थाएं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली बिहार ,मध्य प्रदेश, उत्तराखंड के अनेकों शहरों में संचालित की जा रही है

श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम और श्री गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने की तिथि कब और कैसे होगी तय ? जानने के लिए पढ़िए



 

श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 5 फरवरी बसंत पंचमी को नरेंद्र नगर राजमहल में तय होगी।

श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि 1 मार्च महाशिवरात्रि के दिन श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में तय होगी।

परंपरा अनुसार श्री गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया को खुलते है। इस बार 3 मई को है अक्षय तृतीया।

देहरादून/ ऋषिकेश : 18 जनवरी। विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बसंत पंचमी शनिवार 5 फरवरी को नरेंद्र नगर राजमहल में तय होगी। इसी दिन गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा का दिन निश्चित हो जायेगा।
उत्तराखंड चारधाम/श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना गाईड लाईन तथा ओमीक्रोन के प्रकोप को देखते कार्यक्रम संक्षिप्त रूप से आयोजित होगा। बताया कि कपाट खुलने की तिथि तय करने हेतु प्रात: 10 बजे से पूजा शुरू हो जायेगी।
इस अवसर पर महाराजा मनुजयेंद्र शाह, सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, सहित बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी,श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय भट्ट, उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मंदिर समिति के सभी सदस्यगण मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बी. डी. सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, पं कृष्ण प्रसाद उनियाल सहित डिमरी धार्मिक केंद्रीय केंद्रीय पंचायत के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। इस अवसर पर योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर में पूजा के पश्चात पंचायत प्रतिनिधि तेल कलश गाडू घड़ा को बसंत पंचमी के दिन नरेंद्र नगर राजमहल को सौंपेंगे। तथा निर्धारित तिथि पर राजमहल में पिरोये गये तिलों के तेल को पंचायत के प्रतिनिधि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व श्री बदरीनाथ धाम पहुंचाते है। तिलों के इस तेल से भगवान श्री बदरीविशाल का अभिषेक किया जाता है।
इसी तरह श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि के दिन 1 मार्च मंगलवार को पंच केदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में तय होगी।
परंपरागत रूप से श्री गंगोत्री एवं श्री यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया 3 मई को खुलेंगे। श्री गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के समय की औपचारिक घोषणा धामों के तीर्थ पुरोहितों एवं गंगोत्री तथा यमुनोत्री मंदिर समिति द्वारा यमुना जयंती एवं हिंदू नव संवत्सर के अवसर पर की जायेगी।

श्री बदरीनाथ धाम एवं श्री केदारनाथ धाम शीतकालीन पूजास्थलो में बारह हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे



ऋषिकेश: 17 जनवरी। श्री बदरीनाथ- केदारनाथ धाम की शीतकालीन पूजाओं में श्रद्धालु पहुंच रहे है‌।

इसीक्रम में अभी तक 12661 श्रद्दालु श्री बदरीनाथ धाम एवं श्री केदारनाथ धाम की शीतकालीन पूजाओ में शामिल हुए है।
उत्तराखंड चारधाम/श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि श्री बदरीनाथ धाम के शीतकालीन पूजास्थल एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी के शीतकालीन गद्दीस्थल श्री नृसिंह मंदिर ज्योर्तिमठ(जोशीमठ) में
22 नवंबर 2021 से – 16 जनवरी 2022 तक 2449 श्रद्धालु शीतकालीन पूजा में शामिल हुए।
श्री बदरीनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थल एवं श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी के शीतकालीन प्रवास योग बदरी पांडुकेश्वर में 45 श्रद्धालु पहुंचे।

श्री केदारनाथ धाम एवं द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में दिनांक (9 नवंबर 2021 से 16 जनवरी 2022 तक)10363 श्रद्धालु पहुंच गये है।
श्री गंगोत्री धाम के शीतकालीन गद्दीस्थल मुखवा ( मुखीमठ) तथा श्री यमुनोत्री मंदिर के शीतकालीन प्रवास खरसाली( खुशीमठ) में श्रद्धालु दर्शन को पहुंच रहे है। श्री बदरीनाथ एवं श्री केदारनाथ धाम के शीतकालीन पूजा स्थलों में अभीतक 12857(बारह हजार आठ सौ सत्तावन ) तीर्थयात्री पहुंचे है।

मकर सक्रांति के अवसर पर प्रशासन ने कोविड-19 की गाइडलाइन का करवाया पालन – उत्तराखंड से आई देवी देवताओं की डोलियों ने सांकेतिक रूप से किया गंगा स्नान -देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु, स्थानीय नागरिक गंगा स्नान करने से हुए महरूम



ऋषिकेश,14 जनवरी । कोविड-19 की गाइड लाइन के चलते मकर सक्रांति पर गंगा स्नान करने वालों पर लगाई गई रोक के बावजूद ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर लोगों की भावनाओं को देखते हुए जहां उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों से आए निशान और देवताओं की डोलिया को सांकेतिक रूप से स्नान कराया गया। वहीं स्थानीय नागरिकों के लिए गंगा स्नान पूरी तरह से प्रतिबंधित रहा। शुक्रवार को मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालु गुरुवार की शाम से ही ऋषिकेश पहुंचने प्रारंभ हो गए थे ,लेकिन प्रशासन द्वारा कोविड-19 के चलते त्रिवेणी घाट को श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह सील कर दिया गया था।

जिसके चलते स्थानीय नागरिकों को गंगा स्नान नहीं करने दिया गया ।वहीं प्रशासन ने उत्तराखंड से आने वाले तमाम देवताओं की डोलियों के अलावा भाला निशान को धार्मिक दृष्टि से सांकेतिक रूप से सीमित दायरे में रहकर सांकेतिक रूप से पूजा अर्चना के करने के साथ स्नान कराए जाने की छूट दी गई थी।

जिसके चलते ऋषिकेश त्रिवेणी संगम पर षड्दर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति के बैनर तले संत प्रातःकाल 4 बजे श्री सिद्ध गणेश भगवान के पास पहुंचे, जहां उत्तराखण्ड़ से श्री नर सिहं भगवान और दोनो देवता ने देव भूमि महाकुंभ 2022 का प्रथम स्नान करने के बाद संत देव प्रयाग के लिए रवाना हुए, इस अवसर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष महन्त गोपाल गिरी , उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष महन्त भूपेन्द्र गिरी ,महन्त भोला गिरी , स्वामी परीक्षित गिरी, स्वामी नन्हे दास , मनोहर स्वामी मौजूद थे।

जिन्होंने सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए गंगा स्नान के लिए प्रशासन ने कोरोना की तीसरी लहर के चलते रोक दिया था , जिन्हें बाद में एक एक कर गंगा स्नान करने की छूट दी गई । गोपाल गिरी ने बताया कि मकर सक्रांति पर गंगा स्नान करने के लिए उनके लगभग 50 महात्मा हरिद्वार मे , हरियाणा ,पंजाब , राजस्थान , उ.प्रदेश से पहुंचे हुए है । जिन्हें वही रोक दिया गया है। वही मकर सक्रांति पर कोविड-19 का पालन का जाने के लिए और स्थानीय कोतवाली प्रभारी रवि कुमार सैनी स्वयं प्रातः 4:00 बजे से पुलिस बल के साथ त्रिवेणी घाट पर उपस्थित रहे जिनके नेतृत्व में ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर जाने वाले सभी मार्को पर नाकेबंदी की गई थी जिसके किसी को भी त्रिवेणी घाट की और नहीं जाने दिया जा रहा था । यहां तक कि मकर सक्रांति पर स्नान करने के उपरांत दान पुण्य करने वालों लोगों को भी भारी हसीनाओं का सामना करना पड़ा। जिसके कारण भाग लेने वाले पंडितों और भिखारियों को भी काफी परेशानी हुई।

पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक नहीं षड्यंत्र था,  अगर षड्यंत्र सफल हो जाता तो देश ही नहीं विश्व भर में भयावह दृश्य देखने को मिलता- साक्षी महाराज -सभी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी



 

ऋषिकेश,12 जनवरी। भारतीय जनता पार्टी के उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर पंजाब सरकार द्वारा की गई बड़ी चूक पर हमला बोलते हुए कहा कि यह चूक नहीं बल्कि षड्यंत्र था ।अगर यह हमला सफल हो जाता है तो देश ही.नहीं विश्व भर में एक भयावह दृश्य देखने को मिलता।

यह विचार भारतीय जनता पार्टी के उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज ने ऋषिकेश में अपने जन्मदिन के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में की गई पंजाब सरकार द्वारा चूक पंजाब सरकार की सोची-समझी रणनीति थी, जिसका खुलासा भी हो चुका है। उन्होंने कहा कि जहां पर यह घटना घटी है ,वहां से कुछ ही दूरी पर पाकिस्तान का बॉर्डर भी है ।उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार के खुफिया एजेंसियों ने प्रधानमंत्री के पूरे कार्यक्रम को लेकर पहले ही अलर्ट कर दिया गया था, और तमाम अधिकारी पल-पल की खबरें मुख्यमंत्री सहित पुलिस के आला अधिकारियों को दे रहे थेः।

उसके बाद पंजाब सरकार द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई न किए जाना प्रधानमंत्री पर हमले का ही एक षड्यंत्र था ।अगर यह षड्यंत्र सफल हो जाता तो देश ही नहीं विश्व भर में भयावह दृश्य देखने को मिलता ,इसी के साथ उन्होंने उत्तराखंड सहित कई राज्यों में संतो की धर्म संसद के दौरान किए गए संतों पर मुकदमों की तीव्र भर्त्सना करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी संतो के दम पर ही सरकार बनाने में सफल रही है ।

आज उन्हीं पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। जबकि हैदराबाद के असीबूउद्दीन ओवैसी और उसके भाई द्वारा हिंदू मुसलमानों के बीच वैमनस्यता फैला कर लोगों को जातिवाद में बांटने का काम किया जा रहा है ।उनके विरूद्ध कोई भी मुकदमा किसी भी राज्य में दर्ज नहीं किए गए हैं, जो कि सरकारों की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है, उन्होंने देश के 5 राज्यों में हो रहे चुनाव पर बोलते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश उत्तराखंड सहित सभी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी कैडर बेस पार्टी है।

जो कि 2 किलो को लेकर कार्य कर रही है जिसमें पहला एकात्मक वाद और अंत्योदय योजना प्रमुख है जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सफल भी हुए हैं। जिसके नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वमान्य नेता के रूप में उभर कर आए हैं, जिनका भारत में ही नहीं अपितु विश्व में भी लोहा माना जा रहा है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में अपने सहयोगी दलों के साथ भारतीय जनता पार्टी की साढे तीन सौ विधायकों के साथ सरकार बनेगी, वहीं उत्तराखंड में जो भारतीय जनता पार्टी ने 60 पार का नारा दिया है। वह पूर्ण होगा ,क्योंकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो अपने कार्यकाल में कार्य किए हैं वह भूतों ना भविष्यती है। सीएम की कार्यशैली को देखकर पूरे उत्तराखंड राज्य में भाजपा के प्रति विश्वास जगा है , जिन्होंने अंत्योदय योजना के अंतर्गत सबका साथ सबका विकास और सबका साथ के नारे को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी की नीतियों के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा हैः।

साक्षी महाराज ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सहित जो लोग दल बदल कर इधर से उधर भाग रहे हैं। वह कभी भारतीय जनता पार्टी के थे ही नहीं, वह तो सत्ता का सुख भोगने के लिए भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। और अब उन्हें लग रहा है कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी टिकट नहीं दे रही है।इसलिए वह भाजपा छोड़कर अन्य दलों में जाने की तैयारी कर रहे हैं ।क्योंकि इनके द्वारा जनता के विकास के लिए कोई भी जमीन पर कार्य नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जो  कहती है वह करके दिखाती है जैसे उन्होंने नारा दिया था राम मंदिर ,कृष्ण मंदिर, विश्वनाथ तीनों के एक साथ  जिस के साकार होने के बाद कोई संदेह नहीं रह गया कि जहां भी चुनाव हो रहे हैं उन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं आएगी उनका कहना था कि सभी राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति काफी मजबूत है।

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में प्रतिनिधित्व न मिलने से देवप्रयाग का पंडा समाज नाराज – श्री बद्रीश पंडा पंचायत के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी ने जताया विरोध, मुख्यमंत्री को भेजा पत्र



ऋषिकेश 10 जनवरी। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में देवप्रयाग के बद्रीश पंडा समाज को प्रतिनिधित्व न दिए जाने से पंडा समाज में रोष व्याप्त है। श्री बद्रीश पंडा पंचायत ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर पुनर्विचार कर भूल सुधार करने की मांग की है।
श्री बद्रीश पंडा पंचायत के अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी ने कहा कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के गठन में सरकार ने देवप्रयाग बद्रीश पंडा समाज को प्रतिनिधित्व ना देकर बड़ी अनदेखी की है। जिससे देवप्रयाग का संपूर्ण पंडा समाज नाराज हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बद्रीनाथ धाम को प्रचारित करने के साथ भाजपा को हमेशा सहयोग किया है। मगर, वर्तमान सरकार ने देवप्रयाग के पंडा समाज को पूरी तरह दरकिनार कर हाशिए पर रख दिया।

उन्होंने कहा कि श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति में क्षेत्र विशेष के व्यक्तियों को अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया। जबकि देवप्रयाग पंडा समाज के एक भी प्रतिनिधि को समिति में स्थान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ पंडा समाज के परिवार उत्तराखंड के 52 गांवों तथा शहरों में निवासरत हैं, जिनकी जनसंख्या 20-25 हजार के आसपास है। सभी विधानसभाओं में देवप्रयाग पंडा समाज के परिवार निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार की इस अनदेखी का खामियाजा भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में भुगतना होगा। उन्होंने सरकार से श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के गठन में पुनर्विचार करने तथा भूल सुधार कर देवप्रयाग पंडा समाज को प्रतिनिधित्व देने की मांग की है।

मकर सक्रांति को देव प्रयाग और बसंत पंचमी को ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर देवता छत्र बलम निशान सहित स्नान करेंगे, कोरोना के मद्देनजर सरकार की गाइडलाइन को देखते हुए संतो के सामूहिक स्नान स्थगित करने का हुआ फैसला



ऋषिकेश 10 जनवरी।  षडदर्शन साधु समाज अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षा समिति की कार्यकारिणी में आगामी 14 जनवरी मकर सक्रांति को देव प्रयाग के साथ ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर बसंत पंचमी को किए जाने वाले धूमधाम से संतो के सामूहिक स्नान को स्थगित करते हुए , भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई, कोविड-19 गाइड लाइन के पालन में दोनों स्थानों पर सांकेतिक रूप से देवता छत्र बलम निशान को स्नान करवाए जाने का निर्णय लिया है।

यह जानकारी समिति के उत्तराखंड प्रदेश के अध्यक्ष महंत भूपेंद्र गिरी ने देते हुए बताया कि यह निर्णय समिति के अखिल भारतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल गिरी की अध्यक्षता में आयोजित वर्चुअल बैठक के दौरान समिति के तमाम सदस्यों ने सर्वसम्मति से लिया। उन्होंने बताया कि पूरे देश में कोरोना के बाद ओमी क्रोन जैसी घातक बीमारियां दोबारा वापस आ गई है।जिसके मद्देनजर भारत सरकार द्वारा भी गाइडलाइन जारी की गई है, उसके अनुपालन में संतों द्वारा मकर सक्रांति को देवप्रयाग के संगम और ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर बसंत पंचमी को आयोजित संतो के सामूहिक स्नान को स्थगित कर दिया गया है ।

इसी के साथ उन्होंने बताया कि समिति ने निर्णय लिया कि संतों की परंपरा को बनाए रखने के लिए 14 जनवरी को मकर सक्रांति के दिन देव प्रयाग के संगम पर 8:40 पर सुबह सांकेतिक रूप से छड़ी स्नान कराया जाएगा और 5 फरवरी को ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम पर सुबह 11:00 बजे संत सांकेतिक रूप से देवता छत्र बलम निशान सहित स्नान करेंगे ।

वर्चुअल बैठक में समिति के उत्तराखंड महामंत्री कबीर चौराहा आश्रम ऋषिकेश के मंहत कपिल मुनि, श्रीनगर कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ,किंग कालेश्वर मंदिर के महंत गिरी, हनुमान मंदिर कीर्ति नगर के मंहत दिगंबर नंदन गिरी, हरिद्वार के थानापति महंत रवि गिरी ,महंत प्रेम गिरी, महंत कमल गिरी, महंत प्रयाग गिरी ,पटियाला से महंत हजारा गिरी, हरियाणा झज्जर से रुद्राक्ष बाबा महंत थानापति गीता नंद गिरी ,जालंधर से महंत गोला गिरी, होशियारपुर से महंत जोगिंदर गिरी ,बटाला से महंत शक्ति गिरी, जम्मू कश्मीर से महंत आकाश गिरी, महंत यशपाल गिरी भी जुड़े थे।