ऋषिकेश: गौरीशंकर मंदिर त्रिवेणी घाट ऋषिकेश मे आमावस्या को माता महाकाली की पूजा हुई धूमधाम से सम्पन्न



ऋषिकेश, 25 अक्टूबर। तीर्थ ऋषिकेश उत्तराखण्ड की अधिष्ठात्री देवी मांता महाकाली की पूजा दिपावली सोमवार आमावस्या को गौरीशंकर महादेव त्रिवेणी घाट ऋषिकेश में बडी धुमधाम से सम्पन्न हुई।

कार्यक्रम का शुभारंभ अथर्ववेदा चार्य महन्त गोपाल गिरी की अध्यक्षता में हुआ , जिसमें कलकत्ता से आये पंण्ड़ीत बी . चटर्जी ,व सुबेन्दर गोस्वामी ने काली‌का पूराण मत अनुसार अनुष्ठान आदि ने सम्पन्न करवाया।

कार्यक्रम में पूजा के साथ चंडी पाठ हवन हुआ तथा मांता को नौवेद ,मिष्टान ,खिर ,खिचड़ी ,भाजी ,का भोग लगाकर प्रसाद बांटा गया और सुर्यग्रहण के सुतक के कारण 2.45 बजे मन्दिर बन्द कर दिया गया, जो कि अब गोवर्धन पूजा के बाद बुधवार को खोले जाएंगे।

सप्तम राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर धन्वंतरी जयंती का किया आयोजन, स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी, आयुर्वेद में सभी प्रकार के रोगों का इलाज संभव : सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक



 

ऋषिकेश 22 अक्टूबर। हिमालयीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हिमालयीय विश्वविद्यालय डोईवाला, देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में धनवंतरी जयंती एवं सप्तम राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर परिसर में धन्वंतरी पूजन हवन का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री वह हरिद्वार सांसद डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक ने इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों, चिकित्सकों तथा सभी कर्मचारियों को धन्वंतरी जयंती व दीपावली की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सर्वभय व सर्वरोग नाशक देवचिकित्सक आरोग्यदेव धन्वंतरि”स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी पूंजी है। आयुर्वेद में सभी प्रकार के रोगों का इलाज संभव है।

आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरी की जयंती को आज हम धनतेरस के रूप मे मनाते है 

 शांतिकुंज हरिद्वार के पुरोहित गणों द्वारा सभी पूजन व हवन की क्रियाओं को संपन्न कराया गया।

इस अवसर पर कालेज एवं विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षक, कर्मचारी, कुलाधिपति डॉ० प्रदीप भारद्वाज,कुलपति डॉ० जेपी पचौरी, कुलसचिव डॉo निशांत राय जैन, प्राचार्य डॉo अंजना विलियम्स भी उपस्थित रहीं।

कुलाधिपति एवं कुलपति द्वारा सभी उपस्थित गणमान्यों को इस अवसर पर धन्वंतरी जयंती एवं दीपावली की बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई, कार्यक्रम के सफल आयोजन में सहायक कुल सचिव  राकेश पोखरियाल,  सीमा शर्मा,डॉक्टर सुप्रिया रतूड़ी, हरीश नवानी, प्रकाश श्रेष्ठ, करनैल सिंह,नवीन पोखरियाल, राकेश आदि का विशेष योगदान रहा।

गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे सहित 3400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया शिलान्यास,जहां भी घूमने जाएं अपने यात्रा खर्च का कम से कम 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों पर खर्च करें : प्रधानमंत्री मोदी



 

ऋषिकेश/ केदारनाथ /बद्रीनाथ 21 अक्टूबर। प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को सीमा पर स्थित उत्तराखण्ड के माणा गांव में आयोजित कार्यक्रम में 3400 करोड़ रूपए से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे परियोजनाओं सहित दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं – माणा से माणा पास (एनएच – 07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने माणा गांव के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किये गये स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए कहा कि माताओं व बहनों ने बहुत अच्छा काम किया है। पैकेजिंग वगैरह में मन प्रसन्न हो गया। प्रधानमंत्री ने वोकल फॉर लोकल का जिक्र करते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि जहां भी जाएं एक संकल्प करें कि यात्रा पर जितना भी खर्च करते हैं उसका कम से कम 5 प्रतिशत वहां के स्थानीय उत्पाद खरीदने पर खर्च करें। इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जायेगी, आप कल्पना भी नही कर सकते।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड काल में कोरोना की वैक्सीन पहाड़ों तक पहुंचाई गई। इसमें उत्तराखण्ड और हिमाचल में बेहतर काम किया गया। गरीब कल्याण योजना में उत्तराखण्ड के लाखों लोगों को लाभ मिला। डबल इंजन सरकार ने होम स्टे और स्किल डेवलपमेंट से युवाओं को जोड़ा है। पहाड़ी क्षेत्रों के युवाओं को एनसीसी से जोड़ रहे हैं। विकास कार्यों में तेजी आई है। पर्यटन का विस्तार हो रहा है। जल जीवन मिशन से गांवों तक नल से जल पहुंचाया जा रहा है। मल्टी मॉडल कनेक्टीवीटी प्रदान करने के लिये काम किया जा रहा है। सागरमाला, भारतमाला की तरह अब पर्वतमाला परियोजना पर काम होने जा रहा है। रोपवे पर बहुत बड़ा काम होने जा रहा है। बॉर्डर के गांवों में चहल पहल बढ़नी चाहिए। विकास जीवन का उत्साह होना चाहिए। जो कभी गांव छोड़कर गये है, उनका वापस लौटने का मन करे, हमें ऐसे जिंदा गांव बनाने हैं।

प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा माणा को भारत के अन्तिम गांव की बजाय देश का पहला गांव कहे जाने पर मुहर लगाते हुए कहा कि अब तो मेरे लिये भी सीमाओ पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है। पहले जिन इलाकों को देश के सीमाओं का अंत मानकर नजर अंदाज किया जाता था, हमने वहां से देश की समृद्धि का आरंभ मानकर शुरू किया। लोग माणा आएं , यहां डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयाग किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि माणा गांव से जुड़ी अपनी पुरानी स्मृति बताते हुए कहा कि आज से 25 वर्ष पहले जब वह उत्तराखण्ड में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे एक अनजाने जीवन के रूप में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे तो उस समय उनके द्वारा माणा में उत्तराखण्ड भाजपा कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी, तो मेरे कार्यकर्ता नाराज भी हुए थे इतने दूर इतनी मेहनत से जाना पड़ेगा। तब मेरे द्वारा कहा गया कि जिस दिन हमारे दिल में माणा गांव का महत्व पक्का हो जायेगा ना उस दिन उत्तराखण्ड की जनता के दिल में महत्व बन जायेगा। और उसी का परिणाम है, माणा गांव की मिट्टी की ताकत है आप सभी का आशीर्वाद है। माणा की धरती के आशीर्वाद से हमें दुबारा सेवा करने का मौका मिला है।

*21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का*

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज का दिन बाबा केदार और बाबा बद्रीविशाल के दर्शन करके उनका आर्शीवाद प्राप्त करके जीवन धन्य हो गया है तथा यह पल पल मेरे लिये चिरंजीवी हो गये हैं। उन्होंने कहा कि बाबा के सानिध्य में, बाबा के आदेश से, बाबा के कृपा से पिछले बार जब मैं आया था तो कुछ शब्द मेरे मुंह से निकले थे कि 21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का है। मैं आप सभी को बताना चाहुंगा कि वह शब्द मेरे नही थे, वे शब्द बाबा के आर्शीवाद से मेरे मुख से निकले थे। आज मैं आप सभी के बीच इन नई परियोजनाओं के साथ फिर वही संकल्प दोहराने आया हू।

*विकसित भारत के दो प्रमुख स्तंभ, अपनी विरासत पर गर्व और विकास के लिए प्रयास*

प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के विकसित भारत के दो प्रमुख स्तंभ है, पहला अपनी विरासत पर गर्व और विकास के लिए हर संभव प्रयास। उत्तराखण्ड इन दोनो ही स्तम्भों को मजबूत कर रहा है। आज मुझे दो रोपवे के शिलान्यास का मौका मिला है। इससे केदारनाथ जी और हेमकुण्ड साहिब के दर्शन करना और आसान हो जायेगा। इन रोपवे से काम करने वाले लोगों पर देश के 130 करोड़ लोगों का आर्शीवाद बरसने वाले हैं। श्रमिकों और एंव इंजिनियरों से बात करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि वे भगवान का काम कर रहे हैं। उन्होंने क्षेत्रवासियों से इन काम में लगे मजदूरों का ध्यान रखने का आग्रह किया।

*आस्था के केंद्र हमारे लिये प्राणशक्ति*

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी की मानसिकता ने लोगों को ऐसा जकडा हुआ है कि प्रगति का हर कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है। विदेशों में संस्कृति से जुड़े ऐसे कार्यों की तारीफे की जाती थी और भारत में नहीं। गुलामी की मानसिकता ने हमारी पूजनीय आस्था स्थलों को जर्जर स्तर पर ला दिया था। दशकों तक हमारे धार्मिक स्थलों की अवहेलना हुई। आस्था के यह केन्द्र सिर्फ ढ़ांचा नही बल्कि हमारे लिये यह प्राणशक्ति है। वह हमारे लिये ऐसे शक्तिपूंज है जो कठिन से कठिन परिस्थतियों में भी हमें जीवंत बनाये रखते हैं। आज अयोध्या, काशी, उज्जैन अपने गौरव को पुनः प्राप्त कर रहे है। केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम को श्रद्धा के साथ आधुनिकता से जोडा जा रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है, गुजरात के पावागढ़ में मां काली के मंदिर से लेकर देवी विंध्यांचल कोरिडोर तक भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आह्वान कर रहा है। आस्था के इन स्थलों पर पहुंचना, हर श्रद्धालु के लिए सुगम एवं आसान हो गया है। विश्वास है कि देश की नई पीढ़ी के लिए भी यह श्रद्धा का आकर्षण का केन्द्र बनेंगे। अब हमारे दिव्यांग साथी भी दर्शन कर रहे हैं। गिरनार में जब रोपवे बनाया तो 80 साल के बुजुर्ग भी यात्रा करने लगे, कई लोगों ने मुझे चिटठी भेज कर धन्यवाद दिया।

*आस्था केंद्रों के पुनर्निर्माण से पहाड़ में ईज ऑफ लिविंग*

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की देवभूमि, इस परिवर्तन का साक्षी बन रहे हैं। डबल इंजन की सरकार बनने से पहले एक सीजन में ज्यादा से ज्यादा 5 लाख श्रद्धालु आया करते थे अब इस सीजन में यह संख्या 45 लाख हो गई है। आस्था और आध्यात्मिकता के पुनर्निमार्ण का एक और पक्ष है। पहाड़ के लोगों के ईज ऑफ लिविंग का, उनके रोजगार का, जब पहाड़ में रोड, रेल और रोपवे पहुंचते तो अपने साथ रोजगार लेकर आते हैं और पहाड़ का जीवन भी शानदार, जानदार और आसान बना देते हैं। अब तो हमारी सरकार ड्रोन का उपयोग सामान ढोने में भी करने की योजना पर काम कर रही है। इससे पहाड़ के लोगों को अपने फल और सब्जी बाजार तक पहुंचाने में सुविधा मिलेगी।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमें आदरणीय प्रधानमंत्री जी जैसे महामुनि का सानिध्य प्राप्त हो रहा है। जिनके विचारों से सम्पूर्ण विश्व लाभान्वित हो रहा है। साथ ही हमें गर्व है कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हम उस महान यात्रा के सहयात्री हैं जिस यात्रा का गंतव्य भारत को पुनः विश्व गुरू बनाना है। प्रधानमंत्री जी एक तपस्वी की भांति किस प्रकार से नए भारत के निर्माण की अग्नि को सफलतापूर्वक प्रज्जवलित किये हुये हैं। उत्तराखंड की समस्त जनता की ओर से विश्वास दिलाता हूं कि इस महायज्ञ की सफलता के लिए जिस भी आहुति की आवश्यकता होगी उत्तराखंड उसके लिए सदैव तत्पर रहेगा। हम उत्तराखंड को ’’उत्कृष्ट उत्तराखंड’’ बनाने के ’’विकल्प रहित संकल्प’’ के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी ने सदैव उत्तराखंड के विकास को प्राथमिकता दी है और उनके नेतृत्व में उन्नति और उत्थान की एक अभूतपूर्व गाथा देवभूमि में लिखी जा रही है। वर्ष 2013 की उस अति भयावह त्रासदी के बाद का, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सर्वप्रथम आपने ही उत्तराखंड की सहायता के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में, आज अभूतपूर्व रूप से भारत का सांस्कृतिक उत्थान हो रहा है। सनातन संस्कृति का परचम विश्व में लहरा रहा है और हमारी आस्था के केन्द्रों का इतिहास और महत्व उसी गौरव के साथ प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसके साथ इसे किया जाना चाहिए था।चाहे श्री राम मंदिर का निर्माण हो, बाबा विश्वनाथ मंदिर का अविस्मरणीय पुनरोद्वार हो, केदारपुरी व बद्रीनाथ पुरी का पुर्ननिर्माण व सौन्दर्यीकरण हो या हाल ही में राष्ट्र को समर्पित श्री महाकाल लोक हो। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत की अस्मिता के प्रतीकों व सांस्कृतिक धार्मिक- धरोहरों को जिस प्रकार से संरक्षित व संवर्धित किया जा रहा है उसकी शब्दों में व्याख्या संभव नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा भोलेनाथ की असीम कृपा तथा प्रधानमंत्री जी के दिशानिर्देशों के अनुसार की गई तैयारियों के कारण इस वर्ष कांवड़ यात्रा के दौरान 4 करोड़ शिव भक्तों को हरिद्वार से गंगा जल ले जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तथा अभी तक 45 लाख भक्तों ने चारधाम यात्रा में प्रतिभाग किया है। इस वर्ष की कावड़ यात्रा व चारधाम यात्रा कई अर्थों में ऐतिहासिक रही हैं।सदियों से तिरस्कृत किये गये अपने तीर्थ क्षेत्रों को विकसित और आधुनिक बना रहे हैं, वह अपने आप में अभूतपूर्व है। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में यह स्वर्णिम कालखंड भारत की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चेतना के पुनरोत्थान का कालखंड है। आधुनिकता के संतुलित समावेश के साथ आज सनातन संस्कृति का वैभव पुनर्जीवित हो रहा है तथा भारत पुनः विश्वगुरु के स्थान पर स्थापित हो समूचे विश्व का मार्गदर्शन करने के लिये तैयार है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विश्व के समक्ष जो भी समस्याएं हैं उनके समाधान के लिये सभी विश्व शक्तियां भारत की ओर देख रही हैं तथा भारत की नीतियों का अनुसरण कर रही हैं।
यह प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शी नीतियों का ही परिणाम है कि कोरोना की गंभीर मार के बावजूद आज भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल मजबूत बनी हुई है बल्कि कई विकसित देशों से बेहतर प्रदर्शन भी कर रही है। प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं, सामरिक मोर्चे पर भी बेहद स्पष्ट है। आज किसी दुश्मन की हिम्मत नहीं है कि वो भारत की तरफ आंख उठा कर भी देख ले। आज जहां एक ओर सेना आधुनिक हथियारों से सुसंपन्न हो रही है, सैनिकों को बेहतर सुविधाएं मिल रही हैं वहीं दूसरी ओर रक्षा क्षेत्र में धीरे-धीरे भारत की भूमिका आयातक की जगह निर्यातक की बन रही है। सेना के इस सशक्तिकरण से हमारा उत्तराखंड सर्वाधिक लाभान्वित हुआ है। आज सेना में अपनी सेवा दे रहा देवभूमि का प्रत्येक जवान इस बात से निश्चिंत है कि उसके परिवार का ख्याल रखने के लिए देश व प्रदेश में डबल इंजन की राष्ट्रवादी सरकारें हैं।

प्रधानमंत्री जी, का यह कथन कि ‘‘21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का होगा’’ हमें एक नए उत्साह और ऊर्जा से भर देता है। एक तरफ जहां यह हमें गर्व की अनुभूति कराता है वहीं दूसरी तरफ यह हमें हमारे कर्तव्यों का भी बोध कराता है। प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप हम राज्य के विकास और कल्याण के लिए पूरी निष्ठा के साथ कार्य करने हेतु संकल्पबद्ध हैं। हमने राज्य को वर्ष 2025 तक हर क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए ’’विकल्प रहित संकल्प’’ का मूलमंत्र अपनाया है।

इस अवसर पर राज्यपाल ले0ज0 श्री गुरमीत सिंह (से.नि.), कैबिनेट मंत्री डा0 धन सिंह रावत, सौरभ बहुगुणा, पूर्व मुख्यमंत्री व क्षेत्रीय सांसद श्री तीरथ सिंह रावत, उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री महेन्द्र भट्ट सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

*शिलान्यास की गई परियोजनाओं का विवरण*

3400 करोड़ रुपये से अधिक की रोपवे और सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास किया गया। जिनमें गौरीकुंड-केदारनाथ और गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब दो नई रोपवे परियोजनाओं भी शामिल थी। केदारनाथ रोपवे लगभग 9.7 किलोमीटर लंबा होगा। यह गौरीकुंड को केदारनाथ से जोड़ेगा, जिससे दोनों स्थानों के बीच यात्रा का समय वर्तमान में 6-7 घंटे से कम होकर लगभग 30 मिनट का रह जाएगा। हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ेगा। यह लगभग 12.4 किलोमीटर लंबा होगा और यात्रा समय को एक दिन से कम करके केवल 45 मिनट तक सीमित कर देगा। यह रोपवे घांघरिया को भी जोड़ेगा, जो फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है। इन दोनों रोपवे को लगभग 2430 करोड़ रुपये की संचयी लागत से विकसित किया जाएगा। यह परिवहन का एक पर्यावरण अनुकूल साधन होगा, जो आवागमन को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करेगा। इस अहम बुनियादी ढांचे का विकास धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी और साथ ही साथ रोजगार के कई अवसर पैदा होंगे।
कार्यक्रम के दौरान करीब 1000 करोड़ रुपये की सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं का शिलान्यास भी किया गया। दो सड़क चौड़ीकरण परियोजनाएं – माणा से माणा पास (एनएच – 07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) तक – सीमावर्ती क्षेत्रों में हर मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करने की दिशा में एक और कदम साबित होंगी। कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के अलावा, ये परियोजनाएं रणनीतिक दृष्टि से भी फायदेमंद साबित होंगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे बद्रीनाथ धाम, विकास कार्यों का किया स्थलीय निरीक्षण



ऋषिकेश चमोली 19 अक्टूबर।  मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी बुधवार को सुबह बद्रीनाथ धाम पहुंचे। बद्रीनाथ मंदिर में भगवान बद्री विशाल के दर्शन व पूजा करते हुए सीएम ने प्रदेश की सुख समृद्धि एवं खुशहाली के लिए प्रार्थना की।

इस दौरान उन्होंने बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत संचालित विभिन्न विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण करते अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

इस अवसर पर जिलाधिकारी हिमांशु खुराना, सीडीओ डा.ललित नारायण मिश्र, अपर जिलाधिकारी डा.अभिषेक त्रिपाठी, एसडीएम कुमकुम जोशी सहित निर्मादायी संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

धर्म और अधर्म के बारे में धर्म की जीत होती है । अधर्म जब होता है तो भगवान को जन्म लेना पड़ता है — आचार्य मुकेश बडोनी ऋषिकेश, गंगानगर, हनुमंत पुरम में श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा का आयोजन 



ऋषिकेश 18 अक्टूबर। ऋषिकेश, गंगानगर, हनुमंत पुरम, हटवाल पार्क में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा के चौथे दिन श्रवण करते हुए आचार्य मुकेश बडोनी जी ने‌ कहा कि धर्म और अधर्म के बारे में धर्म की जीत होती है अधर्म जब होता है तो भगवान को जन्म लेना पड़ता है ।

आज आचार्य जी ने प्रह्लाद चरित्र नृसिंह अवतार , गजराज चरित्र हरि अवतार, दुर्वासा का श्राप, इंद्र का श्री हीन होना, समुंद्र मंथन, धन्वंतरी अवतार, मोहिनी अवतार, बलि का मरना, तब शुक्राचार्य मृतसंजीवनी से जीवित, बलि का यज्ञ करना ब्राह्मण प्रसन्न देवता स्वर्ग लोक से भागे, तब अदिति का रोना कश्यप ने एक व्रत बताया पयो व्रत फागुन में मास तब वामन का जन्म भादो द्वादशी को ठीक 12:00 बजे बली को सुतल लोग भेजा, तब सूर्यवंशी की कथा जिसमें श्री राम जी आए तब चंद्रवंशी की कथा जिसमें श्याम जी आए । आदि का सुंदर कथा का वर्णन किया ।

संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ में
श्री भरत देव जन विकास समिति के अध्यक्ष पी डी बिजलवान, हनुमंत पुरम विकास मंच के अध्यक्ष के के सचदेवा , पार्षद उमा राणा, पूर्व सभासद बृजपाल राणा, प्यारेलाल जुगरान, सुरेंद्र, राजेंद्र नेगी, बी एम गुप्ता, मातवर सिंह नेगी , अजय ब्रेजा, ओ पी कंडवाल , भोपाल पंवार, रमा रावत, श्रीमती विमल ब्रेजा , नेत्री देवी, मंजू शर्मा, पुष्पा पंत, रजनी थपलियाल, रश्मि अग्रवाल, रेखा चौबे, मुकेश गाबा, राहुल चौहान, जितेंद्र रावत, राम रतन शर्मा, विजय देवरानी, कुशला नंद चौहान, अभिषेक हटवाल, मकान सिंह नेगी, संजय खरबंदा, मुंशी राम ब्रेजा, आदि सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे । संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ श्री भरत देव जन विकास समिति, हनुमंत पुरम विकास मंच, क्षेत्रीय कीर्तन मंडली एवं गंगानगर की समस्त जनता के संयुक्त के सहयोग से आयोजित की जा रही है।

कार्यक्रम के संयोजक पी डी बिज्लवान , बृजपाल राणा व के के सचदेवा ने सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि अधिक से अधिक सहयोग देकर पुण्य के भागी बने । उन्होंने ऋषिकेश की समस्त जनता से भी अनुरोध किया है कि वह प्रतिदिन सायं 3:00 से 6:00 बजे रसमयी कथा का आनंद उठाएं और पुण्य के भागी बने।

डाॅ निशंक का रचना संसार दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन भाषा नहीं बोध, प्रतिभा और सृजना से बड़े बनें ,योग मूलक उद्योग करें‌-स्वामी रामदेव संस्कार जीवन का सबसे बड़ा अलंकार -स्वामी चिदानन्द सरस्वती कलम की ताकत अणुबम से भी बड़ी-निशंक



ऋषिकेश,17 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन में आयोजित डाॅ निशंक का रचना संसार दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज, स्वामी चिदानन्द सरस्वती , की उपस्थिति में रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने किया।

सोमवार को योगगुरू स्वामी रामदेव महाराज ने उपस्थिति को संबोधित करते हुए कहा कि ऐेसे सम्मेलन सनातन संस्कृति के गौरव को प्रतिबिम्बित करते हैं। हम अपनी भाषा से नहीं बल्कि अपने बोध, प्रतिभा और सृजना से बड़े बनें। हिमालय के जल, जंगल, जमीन और जवानी को गौरव प्रदान करना जरूरी है। उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश देेते हुये कहा कि जो भी करें पूरी प्रामाणिकता के साथ करें। हमारे कार्यो में समग्रता और पूर्णता हो। योग और कर्मयोग से युक्त जीवन जीये तथा योग मूलक उद्योग करें।
योगगुरू ने कहा कि हमारी पहचान किसी विद्यालय या काॅलेज से नहीं होती, बल्कि स्वयं से, अपने व्यक्तित्व से होती है। हमारी वजह से राष्ट्र का गौरव बढ़े यह जरूरी है। उन्होंने हिमालय को सहेजने का संदेश देते हुये कहा कि हिमालय से खूबसूरत कोई स्थान नहीं है अतः अपने गावों और अपनी मातृभूमि की ओर लौटे। उन्होंने हिमालय में ‘ऋषि ग्राम’ के रूप में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ग्राम के निर्माण की घोषणा की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि शिक्षा और दीक्षा चले साथ-साथ। संस्कार जीवन का सबसे बड़े अलंकार है। नई शिक्षा नीति जीवन नीति है। स्वामी जी ने आह्वान किया कि हमारी वैदिक शिक्षा वैश्विक शिक्षा है; वैलिड शिक्षा है। यह वैदिक विज़न और वैदिक विज़डम की नीति है।
स्वामी ने माँ; मातृभाषा और मातृभूमि से जुड़ने का संदेश देते हुये कहा कि शिक्षा नीति में इसका समावेश किया जाना जरूरी है क्योंकि यही 2020 है। आने वाले समय में हमें कल्चर, नेचर और फ्यूचर को बचाना है तो शिक्षा नीति 2020 पर विशेष ध्यान देना होगा। ने कहा कि वैदिक शिक्षा में आध्यात्मिकता और वैज्ञानिकता, चिकित्सा और स्वस्थ दिनचर्या के अलावा स्वाधीनता और समानता का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है। वेदों में उत्कृष्ट नीतिशास्त्र का वर्णन किया गया है ।जो कि हर युग के लिये प्रासंगिक है। भारत की माटी और जल में समाहित दिव्य वेद मंत्रों की ध्वनि और नाद के प्रभाव से ही भारत सदियों से पूरे विश्व को शान्ति का संदेश देता आ रहा है। भारत ने वेद से विमान तक प्रगति की और वह प्रगति शान्ति पर आधारित रही है अर्थात हमारे मूल में शान्ति और हमारी प्रगति का आधार भी शान्ति है इसलिये वैदिक शिक्षा की ओर लौटना आवश्यक है।
रमेश पोखरियाल निशंक ने साहित्य, विज्ञान, प्रकृति, संस्कृति, लोकल से ग्लोबल की यात्रा और आत्मनिर्भर भारत आदि पर चर्चा करते हुये कहा कि यह आयोजन एक साहित्य कुम्भ है क्योंकि कलम की ताकत अणुबम से भी बड़ी होती है।
उन्होंने भारत के लगभग सभी राज्यों, चीन, नीदरलैड़ और अन्य राष्ट्रों से आये कुलपतियों और साहित्यकारों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि इस सम्मेलन से आनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से 35 से अधिक देशों के साहित्यप्रेमियों ने जुड़कर इस दिव्य कार्यक्रम का आनन्द लिया। निशंक ने कहा कि परमार्थ निकेतन का प्रागंण सृजन का केन्द्र है तथा हमारे विश्वविद्यालय दृष्टि और अनुशासन के केन्द्र है।
योगगुरू स्वामी रामदेव और स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने 35 से अधिक विश्वविद्यालयों के कुलपति और प्रोफेसर्स को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी अतिथियों का अभिनन्दन किया। सभी ने परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया।

ऋषिकेश: मधुबन आश्रम के ट्रस्ट की बैठक को लेकर आश्रम में हुआ हंगामा, पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले को किया शांत



ऋषिकेश, 14 अक्टूबर ।मुनिकीरेती क्षेत्र में वर्ष 1988 से संचालित इस्कॉन न्यू वृंदावन ईस्ट ट्रस्ट द्वारा मधुबन आश्रम में उस समय हंगामा खड़ा हो गया।

जब आश्रम में अपने आप को ट्रस्ट के पदाधिकारी बता कर कुछ लोग बैठक करने लगे, जिसे लेकर दूसरे पक्ष द्वारा बैठक का विरोध करते हुए उन्हें आश्रम से चले जाने के लिए कहा जिसके बाद मौके पर पहुंची, मुनी की रेती पुलिस ने दोनों पक्षों की बात सुनकर उन्हें शांति व्यवस्था बनाए जाने का हवाला देते हुए कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है ।इसलिए यहां कोई भी बैठक किया जाना संभव नहीं हैै। अगर बैठक करना चाहते हैं, तो दोनों पक्ष की सहमति आवश्यक है।

वही ट्रस्ट के सचिव हेमंत कुमार हरे कृष्ण दास ने बताया कि उनका विवाद आश्रम को लेकर नहीं है, उनका जो विवाद है आश्रम के अंदर घुसे कुछ असामाजिक तत्वों से है। जिनके द्वारा आश्रम में रहकर लगातार धार्मिक गतिविधियां की जा रही है, और उस में आने वाले चंदे के रूप में चढ़ावे का कोई लेखा-जोखा ट्रस्ट को नहीं दिया जा रहा है ।जिनके द्वारा एक ट्रस्ट के बिना सहमति के अलग अकाउंट भी खोला गया है ।जो की पूरी तरह अवैधानिक है, वही उन्होंने यह भी बताया कि ट्रस्ट का गठन मुंबई में वर्ष 1986 में किया गया था। जिसके बाद ट्रस्ट द्वारा 1988 में मंदिर का निर्माण किया गया है ।तबसे ट्रस्ट द्वारााा अधिकृत‌स्वामी भक्ति योग के संचालन में सब कुछ ठीक-ठक चल रहा था ।

जिनके ब्रह्मलीन होने के पश्चात यहां कार्यरत कुछ कर्मचारी प्रेम प्रकाश राणा जो कि कथित रूप से आश्रम का महंत बन गए ,उनके साथ हर्ष कुमार कौशल और विवाद का मुख्य सूत्र धार सुनील शर्मा मधुबन आश्रम में अवैधानिक तरीके से गतिविधियों को संचालित करवा रहे हैं। जििनके विरुद्ध न्यायालय में विभिन्न धाराओं में मामला भी विचाराधीन है ।

वही मधुबन आश्रम के वर्तमान संचालक महंत परमानंद दास का कहना है कि इस्कॉन न्यू वृंदावन ईस्ट ट्रस्ट से निष्कासित ट्रस्टीयो हृषिकेश मफतलाल , आरके महेश्वरी, एस पी महेश्वरी , रवि खतनार और, राजेश तलवार द्वारा मधुबन आश्रम के सेवकों पर झूठे व बेबुनियाद आरोप लगाकर एक झूठी एफ. आर .आई के तहत धारा 467,468,408, व 420 आईपीसी के तहत दर्ज कराई गई थी ,जिसमें से पुलिस ने जांच करने के पश्चात धारा 467 व 468 हटा दी तथा इसके पश्चात उच्च न्यायालय ने मामले को सुनने के पश्चात धारा 420 मधुबन के सेवकों से हटा ली, इससे यह सिद्ध होता है कि निष्कासित लोग व उनके द्वारा अनाधिकृत लोग जैसे हेमंत ठाकुर (हरे कृष्ण दास) दीन गोपाल दास व अन्य इस्कॉन ऋषिकेश के नाम से अनाधिकृत चंदा व अन्य सामग्री ऋषिकेश वासियों से ले रहे हैं ।

मधुबन आश्रम का नाम लेकर इनका मधुबन आश्रम से कोई लेना देना नहीं है । जो कि जनता को गुमराह करने के लिए अनेक प्रकार की झूठी खबरें प्रसारित कर रहे हैं। इसमें जो भी कानूनी विवाद है उसका निस्तारण वैधानिक तरीके से किया जाएगा। बैठक करने वालों में ट्रस्ट केेेे सचिव हेमंत ठाकुर ,ऋषिकेश मफतलाल चेयरमैन, एसपी माहेश्वरी, डॉ रवि खटन हार, राजेश तलवार ,संजीव वजाज, आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।

करवाचौथ की धूम के बीच महिलाओं में रही सजने संवरने की जबरदस्त होड़, पति की दीर्घायु के लिए सुनी महिलाओं ने सामूहिक कथाएं, रात में चांद देखकर खोलेंगी उपवास



ऋषिकेश,13 अक्टूबर। देशभर के साथ देवभूमि ऋषिकेश में भी पति की दीर्घायु की कामना को लेकर सुहागिनों ने करवाचौथ पर निर्जला व्रत रखने के बाद रात को चांद को अर्घ्य देकर सोलह श्रंगार कर सजी धजी महिलाएं छलनी से पति का दीदार कर व्रत खोलेंगी।

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त धार्मिक एवं पर्यटन नगरी ऋषिकेश में सुहागिनों का पति की दीर्घायु के लिए करवाचौथ पर्व पर शहर में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।पर्व की धूम सोशल मीडिया पर भी देखने को मिली।दिनभर महिलाओं ने सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर अपनी नई-पुरानी तस्वीरें पोस्ट कर खूब सूर्खियां बटोरी।

वृहस्पतिवार को अखंड सौभाग्य का पर्व करवा चौथ देवभूमि में विभिन्न रंगों के साथ विधि-विधान से मनाया जा रहा है।वर्षभर से पर्व का शिद्दत से इंतजार कर रही सुहागिनों का इंतजार आज खत्म हुआ।शहर में तड़के पौराणिक मान्यताओं अनुसार पूजा अर्चना और सर्गी ग्रहण कर सुहागिनों ने निर्जल व्रत की शुरुआत की।महत्वपूर्ण ये भी है कि तमाम सुहागिनें पिछले करीब एक सप्ताह से करवा चौथ की तैयारियों में जुटी रही हैं। नई साड़ियों से लेकर लहंगा-चुनरी के साथ ही अनेक सुहागिनों ने इस पर्व पर नए आभूषण भी खरीदे।वृहस्पतिवार को उत्साह से लबरेज महिलाओं ने अखंड सुहाग के लिए व्रत रखा ।मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना की और सामूहिक रूप से व्रत पूजा‌‌ कर शिव पार्वती और गणेश की कहानियां भी आपस में शेर की। उल्लेखनीय है कि सुहागिनों का पर्व करवाचौथ देशभर में मनाया जा रहा है।आज रात सुहागिन महिलाएं चांद देखने के बाद पूजा करके अपना व्रत तोड़ेंगी। उत्तराखंड की देवभूमि में करवाचौथ की धूम दिख रही है।पर्व पर महिलाओं ने जमकर शॉपिंग की, हाथों पर मेहंदी लगाई।साप्ताहिक अवकाश के बावजूद आज भी शहर के बाजार खुले जिनमें खूब रौनक भी देखने को मिली।गौरतलब है कि करवा चौथ पर्व पर सुहागिन कई दिन पहले से ही तैयारी शुरू कर देती हैं।शॉपिंग से लेकर मेहंदी लगाना और साथी महिलाओं के साथ एकत्र होकर करवाचौथ की कथा सुनना इस पर्व की खासियत है। ये व्रत आमतौर पर सुहागिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। चांद के दीदार से पहले आज तीर्थ नगरी के विभिन्न मंदिरों में महिलाओं ने समूह बनाकर अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा माता की व्रत कथा सुनी ।

सोशल मीडिया पर छाई रही करवाचौथ की तस्वीरे

सोशल मीडिया पर भी आज पूरी तरह से करवाचौथ का पर्व छाया रहा।वाट्सएप, फैसबुक, इंस्टाग्राम पर दिनभर महिलाओं ने पर्व से जुड़ी अपनी खूबसूरत तस्वीरे पोस्ट की।कुछ सुहागिनों द्वारा पिछले वर्षों की यादगार तस्वीरों को भी सोशल साइट्स के विभिन्न प्लेटफार्म पर अपने मित्रों, परिचितों एवं पारिवारिक सदस्यों के संग सांझा किया गया।

करवाचौथ पर्व पर महंगाई ने पतियों की जेब की खाली

करवाचौथ पर्व पर आज पतियों की जेब कट गई।फिर भी वह मंद मंद मुस्कुराते रहे। जी हां किसी जेबकतरे ने पतियों की जैब पर हाथ साफ नही किया बल्कि महंगाई की मार की वजह से पतियों की जैब खाली हो गई।करवाचौथ की खरीदारी में कई पतियों का तो पूरे माह का बजट ही बिगड़ गया।लेकिन इसके बावजूद मामला उन्हीं की लंबी आयू को लेकर रखे जा रहे करवाचौथ व्रत का था तो वह चाहकर भी श्रीमति की फरमाईश को पूरा करने से मना नही कर पाये।

प्रेम, त्याग एवं श्रेष्ठ समर्पण का पर्व है करवाचौथ-स्पीकर

उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण ने महिलाओं को करवा चौथ पर्व पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं साथ ही भगवान से उनकी मनोकामनाएं पूरा करते हुए सुख-समृद्धि प्रदान करने की कामना की है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि करवाचौथ महिलाओं का पवित्र एवं विशिष्ट त्योहार है। इसके माध्यम से वे पति की दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं।अपने बधाई संदेश में उन्होंने कहा कि करवाचौथ का त्यौहार वैवाहिक जीवन के सुदृढ़ एवं पवित्र बंधन का द्योतक है साथ ही नारी शक्ति द्वारा करवा चौथ व्रत का पालन उनके प्रेम, त्याग एवं श्रेष्ठ समर्पण भाव का प्रतीक है।

श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी यात्रा 2022 का ऋषिकेश तारा माता मंदिर में पहुंचने पर संतो ने पुष्प वर्षा कर किया भव्य स्वागत छडी यात्रा का उद्देश्य विधर्मीयों को समाप्त कर सनातन धर्म का वर्चस्व कायम करना – महंत प्रेम महाराज



ऋषिकेश, 10 अक्टूबर। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े हरिद्वार द्वारा आयोजित पवित्र छड़ी यात्रा 2022 का ऋषिकेश स्थित मायाकुंड तारा माता मंदिर में पहुंचने पर संतो ने ‌ सोमवार को पुष्प वर्षा कर भव्य स्वागत किया । छड़ी यात्रा के प्रमुख जूना अखाड़े के सभापति महंत प्रेम महाराज ने बताया कि यह यात्रा 24 सितंबर को माया मंदिर से छडी के पूजन के उपरांत प्रारंभ हुई थी, जो कि हरिद्वार से बागेश्वर सहित कुमाऊं मंडल के तमाम शहरों से होती हुई आज ऋषिकेश तारा माता मंदिर पहुंची ।

जहां से वह त्रिवेणी घाट ,दुर्गा मंदिर, दत्तात्रेय मंदिर, मायाकुंड तारा माता मंदिर, व त्रिवेणी घाट पर गंगा पूजन किया गया। जहां तारा माता मंदिर के महंत संध्या गिरी, श्री राम गिरी, खुशी गिरी, महेश गिरी, मिंटू त्यागी, नीतू त्यागी ,गंभीर सिंह मेवाड़, ने पुष्प वर्षा का भव्य स्वागत किया।

प्रेम महाराज ने बताया कि श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े द्वारा संचालित पौराणिक पावन पवित्र छड़ी यात्रा आद्य जगतगुरु शंकराचार्य ने लगभग ढाई हजार वर्ष पहले अपनी दिग्विजय यात्रा जिसमें उन्होंने सनातन धर्म की स्थापना के लिए पूरे भारतवर्ष में चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना की थी ,का ही रूप है ।तब जगद्गुरु शंकराचार्य ने पवित्र धर्म दंड अथवा धर्म ध्वजा जो की छड़ी का ही प्रतीक था ,के माध्यम से विधर्मीयों को समाप्त कर सनातन धर्म का वर्चस्व कायम किया था। तभी से उनके बताए गए मार्ग पर चलते हुए साधु सन्यासियों और अखाड़ों द्वारा उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और दक्षिणी प्रदेशों में पवित्र छड़ी यात्राएं निकाली जाती है। जिसमें अमरनाथ, मणिमहेश, कैलाश मानसरोवर, उत्तराखंड के चारो धाम सहित पौराणिक स्थलों की यात्रा आज भी संचालित की जा रही है ।

इन यात्राओं को समय-समय पर मुगल शासकों ने रोकने का प्रयास भी किया, अलाउद्दीन खिलजी और मोहम्मद तुगलक शाह ने हिंदू जनता पर अत्याचार किए ,जिससे त्रस्त होकर शंकराचार्य द्वारा स्थापित दस नाम परंपरा के सन्यासियों ने प्रयागराज कुंभ के दौरान क अखाड़ों का गठन किया था, इसी क्रम में उत्तराखंड के करणपयाग में जूना अखाड़े की स्थापना की गई थी।

जिसके स्थापना काल से जूना अखाड़े के नागा सन्यासी मुगलों के अत्याचार से निपटने के लिए सैनिक गतिविधियों, धार्मिक यात्रा आयोजित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में यह परंपरा थी कि कुंभ पर्व के समापन के पश्चात अखाड़े पौराणिक पावन छड़ी यात्रा निकालेंगे, तथा कैलाश मानसरोवर सहित उत्तराखंड के चारों धामों एवं अन्य पौराणिक मंदिरोंंंं और स्थानों का जीर्णोद्धारभी करेंगे। इसी उद्देश्य को लेकर यह यात्रा निकाली जा रही है ।जिस का समापन आगामी 1 नवंबर को हरिद्वार में माया देवी मंदिर में किया जाएगा ।

छड़ी यात्रा में प्रमुख रूप से‌ छड़ी के प्रमुख महंत जूना अखाड़ा के सभापति  महंत प्रेम महाराज , महंत पुष्कर गिरी, छवि महल, शिवदत्त गिरी ,वशिष्ठ गिरी, तूफान गिरी, महंत पुष्कर गिरी ,महंत शैलेंद्र गिरी ,महंत संध्या गिरी ,जगतगुरु शंकराचार्य , पीठाधीश्वर नरेंद्र नंद सरस्वती, सहित काफी संख्या में संत उपस्थित है। चौकी ऋषिकेश से प्रारंभ होकर देहरादून मंसूरी लाखामंडल होते हुए बड़कोट में रात्रि विश्राम करेगी जिसके बाद वह पूरे उत्तराखंड के पौराणिक मंदिरों में पहुंचेगी जहां उनका भव्य स्वागत किया जाएगा।

परमार्थ निकेतन में आयोजित दो दिवसीय नारी संसद का हुआ समापन जो वस्तुयें हमें सुलभता से मिलती है ,हम उनके प्रति उदासीन हो जाते – राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान



 

ऋषिकेश, 0 9 अक्टूबर । केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि जो वस्तुयें हमें सुलभता से मिलती है ,हम उनके प्रति उदासीन हो जाते हैं। हमारी मातृ शक्ति माँ, बहन, पत्नी और बेटी के रूप में हमें मिली हैं, इसलिये हम उनका महत्व कम कर देते हैं ।

यह विचार केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने रविवार को परमार्थ निकेतन में आयोजित दो दिवसीय ‘नारी संसद’ शक्ति महाकुम्भ के समापन अवसर पर ‌मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित महिलाओं और लोगों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए, उन्होंने कहा कि
नारी संसद में कहा कि जो वस्तुयें हमें सुलभता से मिलती है ,हम उनके प्रति उदासीन हो जाते हैं। हमारी मातृ शक्ति माँ, बहन, पत्नी और बेटी के रूप में हमें मिली हैं, इसलिये हम उनका महत्व कम कर देते हैं। उनके द्वारा किये गये कार्यो को हम भूल जाते हैं। शास्त्रों में बहुत ही सुन्दर शब्द है सुमिरन हमें भी नारियों के विषय में सुमिरन करने और कराने की जरूरत है। उन्होंने परोपकार के महत्व की भी व्याख्या करते हुये कहा कि उपकार करना ही पुण्य है, और अत्याचार करना ही पाप है।
इस अवसर पर उन्होंने जयदेव जी की गीता का वर्णन करते हुये कहा कि शास्त्रों में भगवान श्री कृष्ण को पूर्ण पुरूष कहा गया है, परन्तु जब वे एक बार यमुना जी के तट पर गये तो अन्धकार से वे डर गये तब वे राधा जी के पास गये अर्थात पूर्ण पुरूष को भी मातृ शक्ति के सहयोग की आवश्यकता पड़ी तो हम सब तो साधारण है। इसलिये मातृशक्ति के महत्व को स्वीकार करना होगा। हम कहते है महिला लक्ष्मी है, अब समय आ गया है कि हम स्वीकार करें कि लक्ष्मी महिला है, सरस्वती महिला है और इसे स्वीकार करने में किसी को भी कठिनाई नहीं होनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि महिलाओं को मासिक धर्म होना एक शारीरिक बात है, परन्तु ऐसी जो भी समस्यायें है। वह समाज की समस्यायें है अतः महिलाओं की समस्याओं को लेकर इन्हें नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता बल्कि यह तो पूरे परिवार और समाज की समस्या है।
महिलाओं ने तो वेदों की रचना की है, परन्तु समय के साथ महिलाओं को चार दीवारी के अन्दर बंद करके रखा गया। पुरूषों को अपना भला, आने वाली पीढ़ियों का भला और समाज का भला करने के लिये महिलाओं की समस्याओं को स्वीकार करना और समाधान करना होगा।
उन्होंने शिक्षा के महत्व को बताते हुये कहा कि लड़कियों को भी लड़कों की तरह शिक्षित किया जाये तो वह भी हर कार्य कर सकती हैं। लड़के और लड़कियों में जो भी अन्तर है वह शिक्षा के कारण है। हमें अपने घरों में भी बेटी और बेटों को समान शिक्षा देनी होगी। उन्होंने कहा कि नारी के उत्पीडन में नारी का ही बहुत बड़ा हाथ है। हमारा रवैया बेटी और बहू के साथ समान होना चाहिये। उन्होंने कहा कि मैने अपने बेटे के निकाह नामे में कुछ शर्ते लिखवायी थी, तब लोगों ने कहा कि यह आप अपने खिलाफ ही लिख रहे हैं। परन्तु मैं अपनी बहू को अपनी बेटी ही मानता हूँ।
उन्होंने इस अवसर पर भक्ति कवियों द्वारा लिखित रचनाओं का वर्णन करते हुये कहा कि उन रचनाओं में नारी शक्ति की अद्भुत व्याख्या की गयी है। महिलाओं में किसी भी प्रकार की क्षमता की कमी नहीं है आज हमारी बेटियां भी फाइटर प्लेन चला रही है। शास्त्रों में उल्लेख है कि अपनी आत्मा और अपने आप को उपर उठने के लिये प्रयत्न करें। जीवन का उद्देश्य सुख की प्राप्ति नहीं बल्कि ज्ञान की प्राप्ति है, जिस दिन ज्ञान प्राप्त हो जायेगा उस दिन आप विभेद करना भूल जायेगे। मैं कहां पैदा हुआ हूँ और किस रूप में पैदा हुआ हूँं यह मेरे हाथ में नहीं है ।परन्तु पुरुषार्थ करना हमारे हाथ में हैं।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नारियों को सामना नहीं सम्मान चाहिये। उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने के लिये एक सुरक्षित वातावरण चाहिये।
डा साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा यदि हम वास्तव में एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करना चाहते है तो हमें स्वीकार करना होगा कि हम जिनकी पूजा करते है उन्हीं बेटियों को यह भी बताते है कि माँ काली की तरह नहीं बल्कि गौरवर्ण की तरह होना चाहिये।ं हम बेटियों को फेयर बनने की शिक्षा देते हंै तब हम कैसे सशक्त समाज का निर्माण कर सकते है। हम सम्मेलनों में महिला सशक्तिकरण और समानता के बारे में बात करते हैं परन्तु इसे विचारों और सोच में स्थान देना होगा तभी हमारे ये कार्यक्रम सफल हो सकते हंै। समानता का मतलब लड़कियों को लडकों के जैसे बात करना, कपड़े पहनना नहीं है, बल्कि जिस प्रकार धरती पर गुलाब और गेंदा अलग-अलग है उसी प्रकार हमारे समाज में विविधता है उस विविधता को स्वीकार करते हुये समानता को स्वीकार करना होगा।
पर्यावरणविद् डा वंदना शिवा ने कहा कि भारत की संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति हैं और परमार्थ निकेतन में स्पष्टता से उस संस्कृति के दर्शन हो रहे हैं। हर संस्कृति ने नदियों को माँ नहीं कहा परन्तु भारत ने सभी नदियों को माँ का दर्जा दिया है। नदियों का पानी केवल पानी नहीं है बल्कि उसमें शक्ति है।
इस अवसर पर उन्होंने माँ भागीरथी जी का पृथ्वी पर अवतरण के प्रसंग को साझा करते हुये कहा कि हमारी नदियां, जंगल और जल हमारी दिव्य संपदा हैं। उन्होंने बताया कि 1050 स्थानों पर बीज संरक्षण अभियान शुरू है और इन केन्दों से विलुप्त हो रहे बीजों को बचाने का कार्य किया जा रहा है। जैविक खेती, नीम के पौधे और जैविक नाशकों के विषय में जानकारी दी।
डा शिवा ने कहा कि प्रकृति के साथ काम करना ही महिला शक्ति है और यही आज की जरूरत है। चिपको आन्दोलन का उल्लेख करते हुये कहा कि उस समय आन्दोलनकर्ता महिलाओं ने कहा कि जो प्रकृति में शक्ति है; जो बह्मण्ड में शक्ति है वही हम सभी में है। प्रकृति का स्वास्थ्य और हमारा स्वास्थ्य जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा भूले-बिसरे अनाज में पोषण है इसलिये हमें इनको पुनः स्वीकार करना होगा। मुझे परमार्थ निकेतन में आकर पूज्य स्वामी जी और साध्वी के सान्निध्य में अत्यंत प्रसन्नता होती है।
मेयर ऋषिकेश अनीता ममगाई ने कहा कि हमारी गंगा मां और भारत माता मातृशक्ति का प्रतीक है। नारी संसद के आयोजन हेतु उन्होंने पूज्य स्वामी जी को धन्यवाद देते हुये कहा कि परमार्थ निकेतन द्वारा वर्षो से ऋषिकेश और आस-पास की स्लम ऐरिया में जाकर नारियों और बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये अद्भुत कार्य किये जा रहे हैं जो की अनुकणीय है और यही वास्वत में नारी संसद का प्रतीक भी है।
कार्यशाला में सहभाग करने वाले प्रतिभागियों ने परमार्थ निकेतन में आयोजित सभी आध्यात्मिक कार्यक्रमों और गंगा जी की आरती में सहभाग कर आनन्द लिया। यह कार्यक्रम परमार्थ निकेतन और माता ललिता देवी ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में परमार्थ निकेतन में आयोजित किया गया।